कैल्शियम कार्बाइड से पके आमों का बाजार में बोलबाला, सेहत के लिए खतरा
लखनऊ, 5 जून 2025, गुरुवार: गर्मियों में आम का स्वाद हर किसी को लुभाता है, लेकिन बाजार में बिक रहे चमकदार और पीले आम आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस बार समय पर बारिश न होने से आमों के प्राकृतिक रूप से पकने में देरी हो रही है। इसे भुनाने के लिए व्यापारी प्रतिबंधित और जहरीले रसायन कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल कर कच्चे आमों को पकाकर बाजार में बेच रहे हैं। विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि ऐसे आम खाने से पाचन तंत्र में गड़बड़ी, सांस लेने में तकलीफ, गले में जलन और कैंसर जैसे गंभीर रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
कैल्शियम कार्बाइड का खेल, बैन के बावजूद खुलेआम बिक्री
कैल्शियम कार्बाइड, जिसे आम भाषा में ‘चूना पत्थर’ भी कहा जाता है, एक प्रतिबंधित रसायन है। फिर भी, यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है और व्यापारी इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं। कच्चे आमों को जल्दी पकाने के लिए इसे कपड़े में लपेटकर आमों के बीच रखा जाता है। इसके बाद टोकरी को बोरी से ढककर 3-4 दिनों के लिए हवा रहित स्थान पर रखा जाता है। इस प्रक्रिया में कैल्शियम कार्बाइड नमी के संपर्क में आकर एसिटिलीन गैस छोड़ता है, जो आम को जल्दी पका देता है। यह आम देखने में चमकदार और पूरी तरह पीले दिखते हैं, लेकिन इनका सेवन सेहत के लिए हानिकारक है।
कैसे पहचानें जहरीले आम?
रंग और चमक: कैल्शियम कार्बाइड से पके आम पूरी तरह पीले और चमकदार दिखते हैं, लेकिन स्वाद में कमी होती है।
पानी में तैरना: आम को पानी भरे बर्तन में डालें। अगर यह तैरने लगे, तो समझ लें कि इसे केमिकल से पकाया गया है।
झुर्रियां और हल्का हरापन: आम के छिलके पर हल्की झुर्रियां और हरा रंग दिखे, तो यह संकेत है कि इसे पेड़ से जल्दी तोड़कर केमिकल से पकाया गया है।
उत्तर प्रदेश में बढ़ता आम का कारोबार, अनदेखी हो रहा प्रतिबंध
उत्तर प्रदेश में हर साल करीब 25 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है, जिसमें मलिहाबाद बेल्ट की 40% हिस्सेदारी है। किसान आम तोड़कर व्यापारियों को बेचते हैं, जो मुनाफे के लालच में मंडी में ही कैल्शियम कार्बाइड से इन्हें पकाते हैं। वेल्डिंग में इस्तेमाल होने वाला यह रसायन आसानी से उपलब्ध हो जाता है, जिसके चलते प्रतिबंध प्रभावी नहीं हो पा रहा है।
राइपेनिंग चैंबर: सुरक्षित विकल्प
उद्यान विशेषज्ञों के अनुसार, आम को पकाने का सबसे सुरक्षित तरीका राइपेनिंग चैंबर है। इसमें फल एक समान पकते हैं, जो देखने में आकर्षक, टिकाऊ और सेहत के लिए सुरक्षित होते हैं। सरकार भी इन चैंबर्स की स्थापना के लिए 35% अनुदान देती है। प्रदेश में अब तक करीब दो दर्जन राइपेनिंग चैंबर स्थापित हो चुके हैं, लेकिन इनका उपयोग अभी सीमित है।
चिकित्सकों की चेतावनी: कैंसर का खतरा
लखनऊ के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जेपी सिंह बताते हैं, “कैल्शियम कार्बाइड से पके फल खाने से नाड़ी तंत्र प्रभावित हो सकता है। इसमें कैंसरकारी तत्व मौजूद होते हैं, जो सिरदर्द, चक्कर, मानसिक उलझन, याददाश्त कमजोर होने और अत्यधिक नींद जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।” उन्होंने लोगों से ऐसे फलों से परहेज करने की सलाह दी है।
लोगों से सावधानी बरतने की अपील
बाजार में चमकदार और सस्ते आमों के लालच में न पड़ें। आम खरीदते समय उसकी प्राकृतिकता की जांच करें और राइपेनिंग चैंबर से पके आमों को प्राथमिकता दें। प्रशासन से भी मांग की जा रही है कि कैल्शियम कार्बाइड की बिक्री और उपयोग पर सख्ती से रोक लगाई जाए, ताकि लोगों की सेहत को खतरे से बचाया जा सके।
“आम का स्वाद लें, लेकिन सेहत का ध्यान रखें।”