देश में पिछले एक हफ्ते से कोरोना के दैनिक मामलों में तेजी से वृद्धि रिपोर्ट की जा रही है। लगातार दूसरे दिन देश में दैनिक मामले 7000 के आंकड़े को पार कर गए हैं। 8 जून के जहां 5233 नए संक्रमित सामने आए थे, वहीं 9 जून को यह आंकड़ा बढ़कर 7240 पहुंच गया। वहीं शुक्रवार को 7584 लोगों को कोराना से संक्रमित पाया गया। ये आंकड़े एक बार फिर से देश में कोरोना की रफ्तार बढ़ने की तरफ इशारा करते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना के एक बार फिर से बढ़ते खतरे को देखते हुए सभी लोगों को लगातार सावधानी बरतते रहने की अपील की है।
पिछले करीब दो साल से अधिक समय से वैश्विक स्तर पर जारी कोरोना महामारी के कारण कई तरह की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं देखने को मिली हैं। कोरोना के कुछ वैरिएंट्स ने जहां संक्रमितों के हृदय-फेफड़े सहित मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, वहीं इसके कारण मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मामले भी काफी बढ़ते हुए रिपोर्ट किए गए हैं। मसलन महामारी ने संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। पिछले दो साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि कोरोना वायरस से संक्रमण के दौरान और ठीक हो जाने के बाद भी कई अंग प्रभावित देखे जा रहे हैं।
कोरोनावायरस को शरीर में प्रवेश करने के लिए एक विशेष प्रकार की रिसेप्टर कोशिकाओं की आवश्यकता होती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिस किसी भी अंग में ये रिसेप्टर कोशिकाएं होती हैं, उनपर संक्रमण का गंभीर जोखिम देखा गया है। आइए ऐसे ही चार अंगों के बारे में जानते हैं जिन्हें कोरोना संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित पाया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भले आप संक्रमण से ठीक हो गए हैं फिर भी इन अंगों की सेहत को लेकर विशेष सतर्कता बरतें, क्योंकि लॉन्ग कोविड में भी इससे संबंधित दिक्कतें देखी जा रही हैं। आइए कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित अंगों के बारे में जानते हैं।
फेफड़ों पर असर
कोरोनावायरस को मुख्यरूप से श्वसन पथ को लक्षित करने वाला माना जाता रहा है, यही कारण है कि संक्रमितों में फेफड़ों पर इसका नकारात्मक प्रभाव अधिक देखा जा रहा है। संक्रमण के दौरान इम्युनोलॉजिकल रिएक्शन के कारण फेफड़ों में तरल पदार्थ का जमाव बढ़ने लगता है। इसके अलावा संक्रमण के गंभीर मामलों में देखा गया है कि कोरोनावायरस फेफड़ों में हवा की थैली और फेफड़े की दीवारों को भी क्षति पहुंचाता है, जिसके कारण इंफ्लामेशन की समस्या बढ़ जाती है। यह दिक्कतें लॉन्ग कोविड में भी बनी रह सकती है।
मस्तिष्क की बढ़ती दिक्कतें
कोरोना के गंभीर संक्रमण के शिकार लोगों में मस्तिष्क और तंत्रिकाओं की समस्या भी देखने को मिली है। कई मामलों में मरीजों के स्पाइनल फ्लूड और ब्रेन सेल्स में कोरोनावायरस देखा गया। रिपोर्टस से पता चलता है कि सेरेब्रल कॉर्टेक्स और ब्रेनस्टेम में कोरोनावायरस रिसेप्टर कोशिकाएं मौजूद होती हैं, जो वायरस के प्रवेश के लिए उपयुक्त हो सकती हैं। ऐसी स्थितियों में वायरस मस्तिष्क में प्रवेश करके मस्तिष्क तक जाने वाली धमनियों को संकुचित कर सकता है, जिससे स्ट्रोक जैसी जानलेवा समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
पेट के अंगों की समस्याएं
कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान कई लोगों ने पेट से संबंधित दिक्कतों की भी शिकायत की है। संक्रमण के दौरान पाचन तंत्र से संबंधित लक्षण भी देखने को मिल रहे हैं। एक शोध से पता चलता है कि 50 फीसदी से अधिक संक्रमितों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों का अनुभव होता है। इसके कारण मतली-उल्टी और पाचन से संबंधित कई तरह की अन्य समस्याएं भी देखी जा सकती हैं। संक्रमण की गंभीर स्थिति में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग की समस्या भी रिपोर्ट की जा रही है।
मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित दुष्प्रभाव
कोरोना महामारी ने युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में गंभीर रूप से मानिसक स्वास्थ्य की समस्याओं को बढ़ा दिया है। संक्रमितों में स्ट्रेस और गंभीर स्थितियों में अवसाद के मामले देखे जा रहे हैं। शोध से पता चलता है कि 14वीं शताब्दी में ब्लैक डेथ के बाद से पहली बार लोगों में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित दुष्प्रभावों की समस्या इतनी तेजी से बढ़ती हुई देखी गई है। महामारी के कारण व्याप्त तमाम तरह की अनिश्चितताओं ने लोगों को मानसिक रूप से बीमार कर दिया है।
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