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Wednesday, June 18, 2025

दिवाली आज, इस शुभ मुहूर्त में करें लक्ष्मी पूजा, जानें पूजा विधि, उपाय और महत्व

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार। दिवाली भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो दीपों का त्योहार भी कहलाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और ज्ञान पर अज्ञानता की जीत का प्रतीक है। दिवाली के दिन घरों को दीपों से सजाया जाता है, जो अंधकार को दूर कर प्रकाश लाते हैं। यह प्रतीक है कि ज्ञान और अच्छाई हमेशा अज्ञानता और बुराई पर विजय प्राप्त करती है। इस त्योहार को मनाने के लिए लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं, दीप जलाते हैं, और अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। दिवाली का त्योहार हमें अच्छाई, ज्ञान और प्रकाश के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। दिवाली का पर्व आज यानि 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी जी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। दिवाली की शाम को लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 37 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। यह समय देवी लक्ष्मी की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजे से मध्य रात्रि तक रहेगा। इस दौरान घरों में साफ-सफाई करके, दीप जलाकर, और मां लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिससे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन 3 शुभ मुहूर्त में भी लक्ष्मी पूजा की जा सकती है –
प्रदोष काल में पूजा मुहूर्त का समय – 31 अक्टूबर 2024, शाम 05 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक पूजा की जा सकती है।
वृषभ काल में पूजा मुहूर्त का समय – 31 अक्टूबर 2024, शाम 06 बजकर 21 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक पूजा का समय रहेगा।
निशिता काल में पूजा मुहूर्त का समय – 31 अक्टूबर 2024, रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 21 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
दिवाली के दिन की तैयारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें:
  1. सुबह जल्दी उठकर पूरे घर की साफ-सफाई करें।
  2. घर के किसी भी कोने में धूल या गंदगी जमा नहीं होनी चाहिए।
  3. स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  4. घर के मंदिर या पूजा स्थल में पूजा अर्चना करें।
  5. शाम के समय की पूजा के लिए पूरे घर को फूल और पत्तियां से सजाएं।
  6. दरवाजों पर तोरण लगाएं और घर के मुख्य द्वार को विशेष रूप से सजाएं।
  7. मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए मुख्य द्वार और पूजा स्थल के पास रंगोली बनाएं।
इन तैयारियों से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए घर को पवित्र और आकर्षक बनाया जा सकता है।
दिवाली पूजा की विधि:
  1. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
  2. पूजा स्थल पर धन रखें।
  3. कुबेर जी की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
  4. पूजा स्थल पर फूल, रंगोली और चंदन से सजावट करें।
  5. शुद्ध घी का दीपक और सुगंधित धूप जलाएं।
  6. गणेश जी, लक्ष्मी जी और कुबेर जी को रोली, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें।
  7. आरती करें।
  8. लक्ष्मी मंत्र और कुबेर मंत्र का जाप करें।
  9. पूजा के बाद भोग लगाएं (खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है)।
  10. पूरे घर में दीपक जलाएं।
  11. इन चरणों का पालन करके, आप दिवाली पूजा को विधिपूर्वक और शुभतापूर्वक मना सकते हैं।
दिवाली के दिन कुछ विशेष उपाय:
  1. चांदी या सोने का हाथी: भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को हाथी बहुत प्रिय है। घर में चांदी या सोने का ठोस हाथी रखने से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
  2. पीली कौड़ियां: देवी लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती हैं। सफेद कौड़ियों को हल्दी के घोल में भिगोकर पीला कर लें और लाल कपड़े में बांधकर दिवाली के पूजन में रखें। पूजा के बाद घर की तिजोरी में रखें।

इन उपायों को करने से धन धान्य में वृद्धि होती है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

दिवाली का महत्व:
दिवाली भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। दिवाली के दौरान विभिन्न प्रकार के उत्सव मनाए जाते हैं। दीपदान करना दिवाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पटाखे जलाने की परंपरा है, जो खुशी और उत्साह का प्रतीक है। मिठाई बनाना और बांटना भी एक परंपरा का हिस्सा है, जो प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है। दिवाली का त्योहार हमें अंधकार पर प्रकाश की जीत की याद दिलाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा देता है। परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशियां मनाने का अवसर प्रदान करता है। आत्म-चिंतन और आत्म-सुधार के लिए प्रेरित करता है।

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