वाराणसी, 26 मार्च 2025, बुधवार। श्री काशी विश्वनाथ धाम में बुधवार को एक ऐसा अलौकिक आयोजन हुआ, जिसने हर श्रद्धालु के मन को भक्ति और आनंद से भर दिया। शंकराचार्य चौक के सांस्कृतिक मंच पर बैंगलोर से आए प्रसिद्ध कलाकारों ने भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र विवाह को संगीत और नाट्य के मनमोहक रूप में प्रस्तुत किया। यह दृश्य इतना जीवंत और भव्य था कि हर उपस्थित व्यक्ति उस दिव्य क्षण का साक्षी बनकर धन्य हो उठा।

कार्यक्रम की शुरुआत बेहद शुभ और विधिवत तरीके से हुई। डिप्टी कलेक्टर शंभू शरण ने बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा का पूजन किया, जिसके बाद मंच पर वैदिक रीति-रिवाजों के साथ शिव-पार्वती के विवाह का मंत्रमुग्ध कर देने वाला मंचन शुरू हुआ। इस नाट्य प्रस्तुति में शास्त्रों के हर नियम का पालन किया गया। गोत्र उच्चारण से लेकर कंगन धारण, मांगल्य सूत्र बंधन और जयमाल जैसे सभी पारंपरिक अनुष्ठानों को इतनी खूबसूरती से दर्शाया गया कि ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वयं कैलाश पर्वत पर यह पवित्र विवाह संपन्न हो रहा हो।

इस आयोजन का उद्देश्य केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं था। इसके पीछे एक गहरा आध्यात्मिक संदेश छिपा था। यह माना गया कि यह दिव्य प्रस्तुति उन श्रद्धालुओं के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगी, जो अपने जीवन में विवाह संबंधी बाधाओं से जूझ रहे हैं। कलाकारों ने अपनी कला के माध्यम से न सिर्फ शास्त्रीय अनुष्ठानों को जीवंत किया, बल्कि दर्शकों को भगवान शिव और माता पार्वती के उस पावन मिलन का हिस्सा बनने का सौभाग्य भी प्रदान किया।

संगीत की मधुर धुनों और नाट्य के भावपूर्ण प्रदर्शन ने श्रोताओं को एक अलग ही आध्यात्मिक लोक में ले जाकर उनके हृदय को श्रद्धा से सराबोर कर दिया। यह कार्यक्रम न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव था, बल्कि एक ऐसा अनुभव था, जिसने हर किसी को शिव-पार्वती के उस अनंत प्रेम और एकता की अनुभूति कराई, जो समय और सीमाओं से परे है।
