वाराणसी, 30 नवंबर 2024, शनिवार। काशी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में शनिवार से एक अद्वितीय आयोजन शुरू हुआ है, जिसमें सभी 12 ज्योतिर्लिंगों और 51 शक्तिपीठों का समागम हो रहा है। इस आयोजन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि यह आयोजन अपनी तरह का पहला और अनूठा है, जो सनातन को अपार ऊर्जा देने वाला है। उन्होंने आगे कहा कि यह आयोजन पूरे विश्व में भारत की संस्कृति, सनातन परंपरा का वाहक बनेगा। इसके अलावा, उन्होंने 14 जनवरी से प्रयागराज में त्रिवेणी तट पर आरंभ होने वाले महाकुंभ के बारे में भी बताया, जो विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला होगा। यह आयोजन काशी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया है, जिसमें देश-विदेश से आए प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। यह आयोजन सनातन परंपरा को बढ़ावा देने और भारतीय संस्कृति को पूरे विश्व में प्रसारित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
उप मुख्यमंत्री का सनातन धर्मावलंबियों से आह्वान: एकजुट होकर बनाएं भारत को विश्व गुरु
उप मुख्यमंत्री ने सनातन धर्मावलंबियों से एकजुट होने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि एकता में ही मजबूती है, और यदि हम सभी एकजुट हो जाएं तो हमारे देश को विश्व गुरु बनने से कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने आगे कहा कि आज भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, यह संतों की कृपा है। यदि हम सभी लोग एकजुट हो जाएं तो हमारे देश को विश्व गुरु बनने से कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग जाति भेद की बात कर रहे हैं, वे सिर्फ फूट डालकर वोट लेना चाहते हैं और सत्ता हासिल करना चाहते हैं। उनका देश के विकास, लोगों के उत्थान से कोई मतलब नहीं है।
उप मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज जो लोग स्वयं को “लोहिया के लोग” कहते हैं तो अब लोहिया के लोग यहां नहीं रहे, केवल सैफई के लोग बचे हैं। लोकसभा के चुनाव में टिकट तो सैफई के लोग ले गए दूसरे यादव भी नहीं थे। उन्होंने आगे कहा कि आज जो लोग संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं खुद उन्होंने संविधान की हत्या करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सपा की सरकार में न्यायपालिका पर भी हमला हुआ था और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर भी सपा के लोगों ने हल्ला बोल अभियान चलाया था।
उन्होंने आगे कहा कि सनातन में हजारों वर्षों से वसुधैव कुटुंबम का उद्घोष किया है जो पूरी दुनिया को अपना परिवार मानता है। एक तरफ हम लोग हैं जो पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं। हमारे यहां बच्चा जब चलना सीखता है तो उसे सीख दी जाती है कि यदि पैर के नीचे चींटी आ जाए तो राम-राम बोलो, दूसरी तरफ ऐसी विचारधारा के लोग हैं जिनका बच्चा तीन से छह महीने का होते ही खून खच्चर शुरू हो जाता है, अंतर बिल्कुल साफ है।
वाराही शक्तिपीठ का रहस्य खुला: महामंडलेश्वर प्रखर जी महाराज ने किया बड़ा दावा
प्रखर आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर प्रखर जी महाराज ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि वाराही शक्तिपीठ काशी में ही स्थित है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में वर्णित पंचसागर का वर्णन काशी के पंचगंगा घाट पर पांच नदियों के संगम से मेल खाता है, जो यह सिद्ध करता है कि वाराही देवी की शक्ति पीठ काशी में ही अवस्थित है। उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र में वाराही देवी की शक्ति पीठ होने की मान्यता है, लेकिन वहां जाने पर ऐसा कुछ दिखता नहीं है। जबकि काशी में पंचगंगा घाट पर पांच नदियों के संगम की जो बात है और उसके ऊपर अवस्थित मंदिर भी है, इससे यह सिद्ध होता है कि वाराही देवी की शक्ति पीठ काशी में ही अवस्थित है। इस प्रकार, प्रखर जी महाराज ने दावा किया है कि काशी में दो शक्तिपीठ हैं – एक मां विशालाक्षी देवी की और दूसरी वाराही देवी की।