नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक ऐसा ऐलान किया है, जो न सिर्फ सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि देश की सियासत और समाज में भी हलचल मचा रहा है। धीरेंद्र शास्त्री, जिन्हें लोग प्यार से “बागेश्वर बाबा” कहते हैं, ने घोषणा की है कि वह देश का पहला “हिंदू गांव” बसाएंगे। यह गांव कोई साधारण बस्ती नहीं होगा, बल्कि हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने की पहली सीढ़ी होगा। आइए, इस अनोखी पहल की हर डिटेल को करीब से जानते हैं और समझते हैं कि यह सपना कैसे हकीकत में बदलने जा रहा है।
कहां और कब बनेगा यह गांव?
यह ऐतिहासिक प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा में शुरू हो चुका है, जहां बागेश्वर धाम स्थित है। धीरेंद्र शास्त्री ने 2 अप्रैल 2025 को वैदिक मंत्रोच्चार और कन्या पूजन के साथ इस गांव की आधारशिला रखी। योजना के मुताबिक, अगले दो साल यानी 2027 तक यह गांव पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा। यह कोई छोटी-मोटी परियोजना नहीं है; इसमें करीब 1,000 हिंदू परिवारों को बसाने की तैयारी है। पहले ही दिन दो परिवारों ने यहां बसने के लिए कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली, जबकि 50 से ज्यादा लोग इस मुहिम से जुड़ने के लिए आगे आए हैं।
कैसे मिलेगी जमीन, क्या हैं शर्तें?
इस गांव की सबसे खास बात यह है कि जमीन बागेश्वर धाम जनसेवा समिति द्वारा मुफ्त आवंटित की जाएगी। यानी, जो लोग यहां बसना चाहते हैं, उन्हें जमीन के लिए कोई कीमत नहीं चुकानी होगी। हालांकि, घर बनाने की लागत खुद वहन करनी पड़ेगी। एक और शर्त यह है कि ये घर न तो खरीदे जा सकेंगे और न ही बेचे जा सकेंगे, जिससे यह सुनिश्चित हो कि यह गांव केवल सनातन धर्म के प्रति समर्पित लोगों का ठिकाना बने। सबसे चर्चित शर्त यह है कि इस गांव में गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित होगा। धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि यह गांव सनातन संस्कृति का गढ़ होगा, जहां हिंदू मूल्यों और परंपराओं को संरक्षित किया जाएगा।
हिंदू राष्ट्र का पहला कदम
धीरेंद्र शास्त्री इस प्रोजेक्ट को महज एक गांव की स्थापना से कहीं ज्यादा मानते हैं। उनके लिए यह हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में पहला कदम है। आधारशिला रखने के मौके पर उन्होंने कहा, “हिंदू राष्ट्र का सपना हिंदू घर से शुरू होता है। पहले हिंदू परिवार बनेगा, फिर हिंदू समाज और हिंदू ग्राम। इसके बाद हिंदू तहसील, हिंदू जिला और हिंदू राज्य की स्थापना होगी। यही वह रास्ता है, जो हमें हिंदू राष्ट्र तक ले जाएगा।” उनका मानना है कि यह गांव सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और हिंदू संस्कृति के संरक्षण का केंद्र बनेगा।
एक क्रांति की शुरुआत
धीरेंद्र शास्त्री लंबे समय से हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को लेकर मुखर रहे हैं। वह कहते हैं कि यह गांव सिर्फ ईंट-पत्थर की बस्ती नहीं, बल्कि एक सामाजिक और धार्मिक क्रांति की शुरुआत है। इस गांव में रहने वाले परिवार सनातन धर्म के प्रति अपनी आस्था और जीवनशैली से एक मिसाल कायम करेंगे। पहले ही दिन जिस तरह लोग इस मुहिम से जुड़े, उससे साफ है कि यह विचार जन-जन तक पहुंच रहा है। शास्त्री का कहना है, “यह गांव हिंदुओं को एकजुट करने और उनकी पहचान को मजबूत करने का प्रतीक होगा।”
विवादों का साया
हालांकि, इस घोषणा के साथ ही विवाद भी शुरू हो गए हैं। जहां बीजेपी नेता मनोज तिवारी जैसे लोग इस पहल का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस सांसद दानिश अली ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करती है, जो समानता और भेदभाव से मुक्ति की गारंटी देता है। दूसरी ओर, हरिद्वार के संत समाज ने धीरेंद्र शास्त्री के इस कदम का स्वागत किया है और इसे सनातन धर्म के लिए एक साहसिक प्रयोग बताया है।
क्या कहते हैं लोग?
इस गांव की घोषणा ने समाज को दो धड़ों में बांट दिया है। कुछ लोग इसे हिंदू एकता और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम मानते हैं, तो कुछ इसे संकीर्ण सोच और भेदभाव का प्रतीक बताते हैं। लेकिन धीरेंद्र शास्त्री अपने संकल्प पर अडिग हैं। उनका कहना है, “यह गांव उन लोगों के लिए है जो सनातन धर्म को जीते हैं। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अपनी पहचान को बचाना हमारा अधिकार है।”
एक नई उम्मीद की किरण
बागेश्वर धाम में बनने वाला यह हिंदू गांव न सिर्फ एक बस्ती होगा, बल्कि एक सपने का पहला पड़ाव होगा। दो साल बाद जब यह गांव आकार लेगा, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह वाकई हिंदू राष्ट्र की नींव बन पाता है या सिर्फ एक प्रयोग बनकर रह जाता है। फिलहाल, धीरेंद्र शास्त्री का यह ऐलान देश भर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है और सनातनियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया है।
तो क्या आप भी इस क्रांति का हिस्सा बनना चाहेंगे? यह गांव सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक विचार है—एक ऐसा विचार जो हिंदू समाज को नई दिशा दे सकता है। अब गेंद जनता के पाले में है कि वह इसे कैसे देखती है और इसका कितना समर्थन करती है।