धर्मस्थल मामला: मंदिर या सियासत का मैदान? बीजेपी-कांग्रेस में तीखी तकरार

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धर्मस्थल (कर्नाटक), 1 सितंबर 2025: कर्नाटक के ऐतिहासिक धर्मस्थल मंदिर को लेकर उठा विवाद अब सियासी रंग ले चुका है। 800 साल पुराने इस पूजा स्थल पर एक पूर्व सफाई कर्मचारी के सनसनीखेज दावों के बाद शुरू हुई जांच ने अब बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाजी को जन्म दिया है। जहां बीजेपी ने मंदिर की प्रतिष्ठा बचाने के लिए ‘धर्मस्थल चलो’ रैली का ऐलान किया है, वहीं कांग्रेस ने इसे धर्म के नाम पर राजनीति करार दिया है।

क्या है मामला?

पिछले 3 जुलाई को धर्मस्थल मंदिर में 19 साल तक सफाई कर्मचारी रहे एक नकाबपोश शख्स ने मजिस्ट्रेट के सामने चौंकाने वाला बयान दर्ज कराया। उसने दावा किया कि 1995 से 2014 तक उसने मंदिर प्रशासन के लिए काम करते हुए सैकड़ों महिलाओं और नाबालिग लड़कियों की लाशें दफनाईं, जिनके साथ कथित तौर पर बलात्कार के बाद हत्या की गई थी। इस बयान ने पूरे कर्नाटक में हड़कंप मचा दिया। कर्नाटक पुलिस ने तुरंत विशेष जांच दल (SIT) गठित कर जांच शुरू की।

बीजेपी का पलटवार: ‘मंदिर की साख पर हमला’

बीजेपी ने इस मामले को मंदिर की प्रतिष्ठा पर हमला बताते हुए तीखा रुख अपनाया है। पार्टी नेता चलवाड़ी नारायणस्वामी ने कहा, “धर्मस्थल एक पवित्र पूजा स्थल है, न कि राजनीति का अखाड़ा। कुछ वामपंथी तत्वों ने झूठे आरोप लगाकर भ्रम फैलाने की कोशिश की है।” उन्होंने कहा कि जो लोग न्याय चाहते हैं, उन्हें अदालत का रास्ता अपनाना चाहिए। बीजेपी विधायक एस.आर. विश्वनाथ ने भी आरोप लगाया कि कुछ लोग मंजुनाथ स्वामी मंदिर की छवि खराब करने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने 1 सितंबर को ‘धर्मस्थल चलो’ रैली का ऐलान किया, जिसमें एक लाख से ज्यादा लोगों के शामिल होने का दावा किया गया।

दक्षिण कन्नड़ के सांसद और बीजेपी नेता कैप्टन बृजेश चौटा ने कहा, “मंदिर के खिलाफ दुष्प्रचार हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है। SIT जांच का हमने स्वागत किया, लेकिन अब इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।” रैली में कई केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी नेताओं के शामिल होने की बात कही जा रही है।

कांग्रेस का जवाब: ‘धर्म के नाम पर सियासत’

दूसरी ओर, कांग्रेस ने बीजेपी पर धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। दक्षिण कन्नड़ के प्रभारी मंत्री दिनेश गुंडु राव ने कहा, “बीजेपी की रैली धर्मस्थल मंदिर के हितों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि सियासी फायदे के लिए है। अगर गलत हुआ है, तो उसकी जांच होनी चाहिए। लेकिन इसके लिए रैली की क्या जरूरत?” उन्होंने बीजेपी से ऐसी सियासत से बचने की अपील की।

जांच का क्या है हाल?

SIT इस मामले की गहन जांच कर रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है। पूर्व सफाई कर्मचारी के दावों ने मंदिर प्रशासन और स्थानीय समुदाय को सकते में डाल दिया है। पुलिस का कहना है कि जांच पूरी होने तक कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।

आगे क्या?

धर्मस्थल मंदिर, जो मंजुनाथ स्वामी को समर्पित है, कर्नाटक का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। इस विवाद ने न केवल इसकी पवित्रता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि इसे राजनीतिक रंगमंच में भी बदल दिया है। बीजेपी की रैली और कांग्रेस की प्रतिक्रिया से यह साफ है कि यह मामला अभी और तूल पकड़ेगा। फिलहाल, सभी की निगाहें SIT की जांच पर टिकी हैं, जो इस गंभीर मामले की सच्चाई सामने ला सकती है।

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