वाराणसी, 5 अक्टूबर। श्री काशी विश्वनाथ धाम नयी परंपराओं का साक्षी बनता जा रहा है। जनवरी से लेकर अब तक 22 से अधिक हुए आयोजन का गवाह बना ही था कि अब प्रभु श्रीराम की लीला और मां आदि शक्ति की आराधना भी श्री काशी विश्वनाथ धाम में आरंभ हो चुकी है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि धाम में प्रभु राम की रामलीला चल ही रही है। काशी विश्वनाथ धाम के मंदिर चौक पर शुक्रवार को धनुष यज्ञ, परशुराम-लक्ष्मण संवाद की लीला का मंचन किया गया।
काशी रंगमंच कला परिषद, सिधौना गाजीपुर के कलाकारों ने धनुष यज्ञ और लक्ष्मण परशुराम संवाद का भावपूर्ण मंचन किया। शिव धनुष टूटने के बाद क्रोध में मंच पर भगवान परशुराम का आगमन होता। भगवान परशुराम व लक्ष्मण में काफी देर तक संवाद होता है। बात बढ़ती देख भगवान राम उठते हैं और परशुराम जी के क्रोध को शांत करते हैं। परशुराम ने राम की परीक्षा लेने के लिए राम को अपना धनुष देकर उस पर चाप चढ़ाने की कहते हैं। राम सहज ही धनुष पर चाप चढ़ा देते हैं जिससे उन्हें विश्वास हो जाता है कि ईश्वर का अवतार हो गया है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सहभागिता की। वहीं, लीला के दौरान जैसे ही प्रभु राम ने धनुष तोड़ा तो मंदिर प्रांगण जयकारों से गूंज उठा। कलाकार हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी में भी संवाद करते दिखे।
उत्तर प्रदेश शासन में आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ द्वारा रामलीला मंचन का प्रारंभ दीप प्रज्वलन कर किया गया। लगभग चार घंटे तक रामलीला मंचन के पूर्ण कार्यक्रम संपन्न हुए। दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा कि काशी में रामलीला अगल ही महत्व है। तुलसी के दौर से यहां रामलीला चली आ रही है। विश्वनाथ मंदिर में इसके आयोजन होने का बस एक ही उद्देश्य है कि देश विदेश से बाबा के धाम आने वाले श्रद्धालु राम के आदर्शों को जाने, हमारे देश की परम्परा को करीब से देखें।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि जनवरी से लेकर अब तक 22 आयोजन हो चुके है। परंपराओं से लोगों को अवगत कराने के लिए मंदिर में आयोजन किया जाता है जिससे आज के यूथ मंदिर के परंपराओं के बारे में जान सके। पहले किन-किन देवी देवताओं के पूजन होते थे उनको फिर से श्री काशी विश्वनाथ धाम में शुरू किया गया है।