देहरादून, 27 मार्च 2025, गुरुवार। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को देहरादून सचिवालय में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की। इस बैठक का फोकस समाज कल्याण, महिला सशक्तिकरण और जनजाति कल्याण विभागों की उन गेम-चेंजर योजनाओं पर था, जो राज्य के विकास और जनता की भलाई के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ठोस और कारगर व्यवस्था बनाई जाए। साथ ही, उन्होंने जोर दिया कि योजनाओं को कैबिनेट में पेश करने से पहले जनता के सुझावों को शामिल किया जाए और गुणवत्ता के साथ-साथ सही नियत से काम हो।
धामी ने अधिकारियों से कहा कि उनका मकसद जनसेवा से जुड़े कार्यों के बेहतरीन परिणाम सुनिश्चित करना होना चाहिए। उन्होंने हर लाभार्थी तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने और विभागों के प्रदर्शन की जांच करने पर बल दिया। राज्य के विकास के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ काम करने की हिदायत देते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारियों को बेहतर माहौल दिया जा रहा है, ताकि वे राज्य हित में शानदार काम कर सकें। मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर रोक लगाई जा सकती है, ताकि वे पूरी निष्ठा से उत्तराखंड के लिए काम करें।
बुजुर्गों की देखभाल को लेकर धामी ने संवेदनशीलता दिखाई। उन्होंने कहा कि वृद्धावस्था पेंशन हर महीने समय पर मिलनी चाहिए और इसके लिए एक निश्चित तारीख तय की जाए, जिसमें मुख्यमंत्री का संदेश भी शामिल हो। पहाड़ी इलाकों में अकेले रह रहे बुजुर्गों की देखभाल के लिए प्रभावी कदम उठाने और आंगनबाड़ी केंद्रों को इसमें सहयोगी बनाने का सुझाव भी उन्होंने दिया।
नशा मुक्ति के लिए चल रही योजनाओं पर भी मुख्यमंत्री का खास ध्यान रहा। उन्होंने नशा मुक्त उत्तराखंड योजना के तहत बन रहे केंद्रों के रखरखाव और इसके प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। साथ ही, घोषणा की कि वे जल्द ही हल्द्वानी में बने एक केंद्र का दौरा करेंगे। समाज कल्याण विभाग की पेंशन योजनाओं के सर्टिफिकेट आसानी से उपलब्ध कराने, आईटीआई से ज्यादा से ज्यादा प्लेसमेंट सुनिश्चित करने और वृद्ध व निराश्रित लोगों के लिए शेल्टर होम की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए।
महिला सशक्तिकरण और बाल विकास पर बात करते हुए धामी ने चिंता जताई कि राज्य में 46 प्रतिशत महिलाएं अभी भी एनीमिया से पीड़ित हैं। इसके लिए ठोस कार्ययोजना बनाने और मुख्यमंत्री महिला पोषक योजना के जरिए इस समस्या को कम करने पर ध्यान देने को कहा। दूरस्थ क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी से पहले सरकारी अस्पतालों में बेहतर देखभाल की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए। महिलाओं की आजीविका और कल्याण के लिए चल रही योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, नंदा गौरा योजना और कार्यशील महिला छात्रावास योजना को और प्रभावी बनाने पर जोर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने दिव्यांगजनों, छात्रों और नशा मुक्त भारत अभियान से जुड़ी योजनाओं में तेजी लाने की बात कही। साथ ही, डेमोग्राफिक बदलाव पर भी ध्यान देने की जरूरत बताई। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि जहां देश की जनसंख्या 2000 से 2023 तक 35 प्रतिशत बढ़ी, वहीं उत्तराखंड में यह बढ़ोतरी 51 प्रतिशत रही। यह एक गंभीर मसला है, जिस पर गहन चिंतन की जरूरत है।
इस बैठक में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री के इन निर्देशों से साफ है कि वे न सिर्फ योजनाओं को लागू करना चाहते हैं, बल्कि उनके असर को जमीनी स्तर तक ले जाना चाहते हैं, ताकि उत्तराखंड एक समृद्ध और सशक्त राज्य के रूप में उभरे।