नई दिल्ली, 7 सितंबर 2025: श्रीनगर की पवित्र हजरतबल दरगाह पर राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ के साथ तोड़फोड़ की घटना ने जम्मू-कश्मीर में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। यह घटना न केवल एक संवेदनशील धार्मिक स्थल पर हुई, बल्कि इसने राष्ट्रीय गौरव और संप्रभुता के प्रतीक को भी निशाना बनाया, जिससे समाज और राजनीति में तीखी बहस छिड़ गई है। पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन इस मुद्दे ने नेताओं की बयानबाजी से एक नया मोड़ ले लिया है।
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने इस कृत्य को “शर्मनाक” और “राजनीति से प्रेरित” करार दिया। इस बीच, वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी ने इस मुद्दे पर जम्मू के राज्यसभा सांसद गुलाम अली खटाना से खास बातचीत की, जिसमें कई चौंकाने वाले दावे सामने आए।
राष्ट्रीय चिन्ह की तोड़फोड़: साजिश या संवेदनशीलता का सवाल?
अनिता चौधरी ने इस घटना को राष्ट्रीय गौरव पर हमला बताते हुए कहा, “अशोक स्तंभ हमारी संप्रभुता और एकता का प्रतीक है। इसे तोड़ना निंदनीय और अस्वीकार्य है।” जवाब में गुलाम अली ने इसे “गहरी साजिश” करार देते हुए सीधे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया, “हजरतबल दरगाह एक संवेदनशील स्थान है। इस तोड़फोड़ के पीछे नेशनल कॉन्फ्रेंस और उमर अब्दुल्ला का हाथ है, जो कश्मीर के युवाओं को फिर से गलत रास्ते पर ले जाना चाहते हैं।”
गुलाम अली ने कहा कि कश्मीर के युवा अब पत्थरबाजी और दंगों से हटकर पढ़ाई-लिखाई और तरक्की की राह पर हैं। लेकिन, उनके मुताबिक, उमर अब्दुल्ला इस प्रगति को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने शिलापट्ट पर अशोक स्तंभ लगाने के पीछे की मंशा को स्पष्ट करते हुए कहा, “यह शिलापट्ट विकास कार्यों के बजट और पारदर्शिता के लिए लगाया गया था, न कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए। लेकिन इसे सियासी साजिश के तहत निशाना बनाया गया।”
विकास बनाम सियासत
अनिता चौधरी ने सवाल उठाया कि जब कश्मीर में पर्यटन और विकास कार्य जोरों पर हैं, तो इस तरह की घटनाएं क्यों? गुलाम अली ने जवाब दिया, “उमर अब्दुल्ला कश्मीर में अमन-चैन को खत्म करना चाहते हैं। यह उनकी घिनौनी सियासत है।” उन्होंने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि स्थानीय युवाओं ने आतंकवाद की निंदा की थी, जिससे विपक्ष की सियासत नाकाम रही। गुलाम अली ने दावा किया, “कश्मीर की जनता अब उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं के झांसे में नहीं आएगी।”
कानूनी कार्रवाई और राहुल गांधी की चुप्पी
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन की कड़ी कार्रवाई की मांग पर गुलाम अली ने सहमति जताते हुए कहा, “राष्ट्रीय प्रतीक के साथ छेड़छाड़ करने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।” वहीं, अनिता चौधरी ने राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाया, जो “संविधान बचाओ” रैलियां निकालते हैं। गुलाम अली ने तंज कसते हुए कहा, “राहुल गांधी सिर्फ सियासत करते हैं और अल्पसंख्यक समाज के साथ छलावा करते हैं।”
कश्मीर का भविष्य: विकास या विवाद?
यह घटना कश्मीर में शांति और विकास की दिशा में एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। जहां एक तरफ पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास ने कश्मीर को नई पहचान दी है, वहीं इस तरह की घटनाएं क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने की कोशिशों का संकेत देती हैं। गुलाम अली का दावा है कि कश्मीर की जनता अब सियासी साजिशों को समझ चुकी है और प्रगति के रास्ते पर अडिग है।
हजरतबल दरगाह पर राष्ट्रीय चिन्ह की तोड़फोड़ की यह घटना न केवल कानूनी जांच का विषय है, बल्कि यह कश्मीर की सामाजिक और राजनीतिक दिशा को भी परिभाषित कर सकती है। क्या यह एक सुनियोजित साजिश है या धार्मिक संवेदनशीलता का परिणाम? इस सवाल का जवाब जांच के बाद ही मिलेगा, लेकिन फिलहाल यह मुद्दा जम्मू-कश्मीर की सियासत को गरमाए हुए है।