सिद्धार्थनगर, 25 मार्च 2025, मंगलवार। सिद्धार्थनगर में एक नया सपना आकार ले रहा है, और इसके पीछे हैं राज्यसभा सांसद व उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृज लाल। उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात कर एक दूरदर्शी प्रस्ताव रखा—निर्माणाधीन खलीलाबाद-बांसी-बहराइच रेल लाइन पर बांसी को रेल जंक्शन बनाने की मांग। इतना ही नहीं, उन्होंने इस रेल खंड को भगवान बुद्ध की जन्मस्थली कपिलवस्तु से जोड़ने का भी सुझाव दिया। यह प्रस्ताव न सिर्फ क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा, बल्कि विकास और पर्यटन की नई राहें भी खोलेगा।
बांसी जंक्शन: एक सपना, अनेक फायदे
बृज लाल ने रेल मंत्री को बताया कि बांसी को जंक्शन बनाना केवल एक रेलवे स्टेशन का निर्माण नहीं, बल्कि लाखों लोगों के जीवन को सुगम बनाने का रास्ता है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को रोजमर्रा के आवागमन में बड़ी राहत मिलेगी। अभी विश्वविद्यालय से जिला मुख्यालय तक यातायात के साधन सीमित हैं, जिससे परेशानी होती है। इस रेल लाइन से यह दूरी आसानी से तय हो सकेगी।
साथ ही, सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) के जवान, जो इस क्षेत्र में तैनात हैं, भी इससे लाभान्वित होंगे। उनकी आवाजाही तेज और सुरक्षित होगी। लेकिन सबसे खास बात है बौद्ध धर्म के अनुयायियों और पर्यटकों के लिए यह प्रस्ताव। कपिलवस्तु और लुंबिनी जैसे पवित्र स्थलों तक पहुंच आसान होगी, जिससे न सिर्फ भारतीय श्रद्धालु, बल्कि नेपाल और दुनिया भर से आने वाले बौद्ध अनुयायी भी खुश होंगे।
पर्यटन को नई उड़ान
सांसद ने जोर देकर कहा कि यह रेल लाइन पर्यटन के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। अभी लुंबिनी जाने वाले विदेशी पर्यटक भैरहवा हवाई अड्डे से सड़क मार्ग पर निर्भर हैं, जो समय और संसाधनों की बर्बादी करता है। नई रेल लाइन बनने से वे सीधे अपनी मंजिल तक पहुंच सकेंगे। इससे सिद्धार्थनगर और आसपास के इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिसका असर स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। रोजगार बढ़ेगा, बाजार चमकेगा और क्षेत्र की पहचान मजबूत होगी।
कपिलवस्तु से कनेक्टिविटी: एक ऐतिहासिक कदम
भगवान बुद्ध की जन्मस्थली कपिलवस्तु को रेल नेटवर्क से जोड़ना एक ऐतिहासिक कदम होगा। बृज लाल का यह प्रस्ताव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि भारत-नेपाल के बीच संबंधों को भी मजबूती देगा। नेपाली नागरिकों के लिए भी यह रेल लाइन वरदान साबित होगी, जो अक्सर सीमा पार आवागमन करते हैं।
विकास की राह पर सिद्धार्थनगर
बृज लाल की यह पहल सिद्धार्थनगर को विकास के नक्शे पर एक नई पहचान दिला सकती है। खलीलाबाद-बांसी-बहराइच रेल लाइन पहले से ही इस क्षेत्र के लिए उम्मीद की किरण है, और बांसी को जंक्शन बनाने का फैसला इसे और प्रभावी बना देगा। सांसद का कहना है कि यह परियोजना सरकार की उस सोच का हिस्सा है, जो हर कोने तक प्रगति पहुंचाना चाहती है।
नई उम्मीद, नया भविष्य
बृज लाल की इस मांग ने क्षेत्रवासियों में नई उम्मीद जगा दी है। अगर यह प्रस्ताव हकीकत में बदलता है, तो बांसी न सिर्फ एक रेल जंक्शन बनेगा, बल्कि विकास, संस्कृति और पर्यटन का एक चमकता केंद्र भी। अब नजरें रेल मंत्रालय के फैसले पर टिकी हैं—क्या सिद्धार्थनगर का यह सपना जल्द सच होगा?