देश के बंटवारे के समय पाकिस्तानी सेना एवं कबायलियों द्वारा किए गए हमले में जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान कब्जे वाले क्षेत्र में मारे गए 1947 के शहीदों की याद में मंगलवार रात को मशाल जुलूस निकाला गया। इसमें बड़ी संख्या में भाग लेते हुए नगर के रिफ्यूजी परिवारों के सदस्यों ने 1947 में मारे गए अल्पसंख्यक परिवारों के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शपथ ली कि वह अपने पुरखों के गांव एवं घरों में जाकर बसेंगे। तभी शहीदों की आत्मा को शांति मिलेगी
मंगलवार रात्रि सात बजे नगर स्थित गीता भवन में बड़ी संख्या में पीओजेके रिफ्यूूजी एकत्र हुए। जहां से उन्होंने अशोक जोहर, धर्मेंद्र शास्त्री और संजय रैना की अगुवाई में मशाल एवं मोमबत्तियों के साथ 1947 के शहीदों की याद में जुलूस निकाला, जिसमें शामिल लोग 1947 के शहीद अमर रहे-अमर रहे, 1947 के शहीदों को नमन है नमन है, वंदे मातरम्, भारत माता की जय, जैसे नारे लगा रहे थे। गीता भवन से शुरू हुआ यह जुलूस नगर के विभिन्न बाजारों से होता हुआ पुंछ किले के बाहर संपन्न हुआ। जहां किले के बाहर मोमबत्तियां लगाते हुए शहीदों को नमन किया गया।
इस अवसर पर अशोक जोहर, धर्मेंद्र शास्त्री और रोनिक शर्मा ने कहा कि देश के बंटवारे के समय जब हमारे हिंदू सिख परिवारों के लोग हमारे पुरखे मीरपुर, कोटली, बाग, पलंदरी, मुजफराबाद आदि में दिवाली मनाने की तैयारियां कर रहे थे, और खेतों में कटाई के बाद फसलें संभालने की तैयारी कर रहे थे। तभी पाकिस्तानी सेना और कबायलियों ने उन पर हमला कर 30 हजार से अधिक लोगों का नरसंहार कर दिया।
हजारों महिलाओं से दुष्कर्म किया। छोटे-छोटे बच्चों को टुकड़े करते हुए हुए काट दिया गया। करीब पांच लाख लोग नंगे पांव अपने घरों को छोड़ कर जान बचाने के लिए इस तरफ भाग आए थे। इसके बाद आज 75 वर्षों से हम लोग अपने ही देश में रिफ्यूजी बने हैं, और पाकिस्तान ने हमारे उन क्षेत्रों पर अवैध कब्जा कर रखा है। हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि वह हमारे क्षेत्र पीओजेके को पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्त कराए और साथ ही हम इस बात की भी शपथ लेते हैं कि हम अपने पुरखों के घर गांव में जा बसेंगे, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके।