मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है…
वाराणसी, 9 नवंबर 2024, शनिवार। प्रयागराज महाकुंभ में मुस्लिमों के प्रवेश और कारोबारी गतिविधियों पर रोक की मांग का समर्थन ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी किया है। शंकराचार्य ने कहा कि मुस्लिम धर्मस्थल मक्का-मदीना से 40 किलोमीटर दूर हिंदुओं को रोक दिया जाता है। मक्का में जाने से रोकने के सवाल पर मुस्लिम कहते है, कि यह मुस्लिमों का तीर्थ है, तो तुम्हारा क्या काम है। अब महाकुंभ हमारा (सनातन धर्म का) है तो तुम्हारा क्या काम है। रोक तो उन्होंने शुरू किया है, मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है, तो हमारा भी आंगन है हमें अभी अपने ढंग से जी लेने दो।
इसके अलावा, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को फिर से अवसर मिलने की बात कही है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ने अपने प्रदेश में गाय को माता का दर्जा दिया है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा कि हिंदू समाज को ऐसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो धर्म और आस्था के प्रतीकों का आदर करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को इस सरकार के समर्थन में खड़े हो जाना चाहिए जो गाय को माता का दर्जा देती है। यह बयान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा केदारघाट स्थित श्री विद्यामठ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया गया था। उन्होंने यह बयान एकनाथ शिंदे के नेतृत्व और उनकी नीतियों के समर्थन में दिया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “बंटोगे तो कटोगे” के नारे पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर का भाईचारा खत्म हो जाने से हम बंट नहीं सकते हैं, क्योंकि यह भाईचारा हमारे अंदर मां से ही आती है। शंकराचार्य ने आगे कहा कि जो लोग “बंटोगे तो कटोगे” का नारा देते हैं, उन्हें गाय को तत्काल राष्ट्रमाता घोषित कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि गाय को माता कहने के लिए हमें अपने मुंह से शब्द निकालना चाहिए, न कि सिर्फ नारे लगाना चाहिए। गाय हमारे समाज को बंटने से बचाती है, लेकिन आज उसकी दशा हमारे देश में बहुत खराब है। उन्होंने यह भी कहा कि लोग डॉलर कमाने के लिए गाय को बेधड़क काट रहे हैं और इसे रोकने के लिए सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर हमें ध्यान देना चाहिए।