विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष
वाराणसी, 11 जुलाई 2025: देश की बढ़ती जनसंख्या को विकास का सबसे बड़ा रोड़ा बताते हुए समाजसेवी रामयश मिश्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की जोरदार मांग की है। वाराणसी से दिल्ली तक पदयात्रा कर चुके मिश्र ने कहा कि बेलगाम आबादी प्राकृतिक संसाधनों पर भारी पड़ रही है, जिससे देश का भविष्य खतरे में है।

मिश्र ने बताया कि 1947 में आजादी के समय भारत की आबादी महज 33 करोड़ थी, जो 2025 में 140 करोड़ से अधिक हो चुकी है। उन्होंने चेतावनी दी कि सीमित संसाधनों और क्षेत्रफल के साथ भारत रोज एक ऑस्ट्रेलिया की आबादी जितने लोग पैदा कर रहा है। जंगल, जमीन, नदियां और तालाब तेजी से खत्म हो रहे हैं, जबकि कंक्रीट के जंगल बढ़ रहे हैं।

“बढ़ती आबादी बेरोजगारी और भ्रष्टाचार की जड़ है। स्कूलों में बच्चों को दाखिला नहीं मिल रहा, अस्पतालों में इलाज की सुविधा अपर्याप्त है, और ट्रेनों में लोग भेड़-बकरियों की तरह सफर करने को मजबूर हैं। यह स्थिति देश को आत्मनिर्भर बनाने के बजाय दूसरे देशों पर निर्भर कर देगी,” मिश्र ने कहा।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि ‘हम दो, हमारे दो’ की नीति को कानून बनाकर सख्ती से लागू किया जाए। मिश्र का मानना है कि जब तक जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनेगा, प्रधानमंत्री का विकसित भारत का सपना अधूरा रहेगा।

विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर यह मांग एक बार फिर चर्चा में है। क्या सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी? यह सवाल देश के सामने है।