लखनऊ, 22 मार्च 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश के बलिया में ईद के मौके पर समाजवादी पार्टी (सपा) और योगी सरकार के बीच एक नया सियासी विवाद खड़ा हो गया है। सपा ने रमजान और ईद के दौरान बिना रोस्टिंग के 24 घंटे बिजली और मुफ्त गैस सिलेंडर की मांग उठाई है, जिसे लेकर योगी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने तीखा पलटवार किया है। यह मुद्दा न सिर्फ राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है, बल्कि आम जनता के बीच भी बहस को हवा दे रहा है।
सपा की मांग: त्योहारों में समानता का सवाल
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अवलेस सिंह ने योगी सरकार से मांग की कि जिस तरह होली और दीवाली पर जनता को विशेष सुविधाएं दी जाती हैं, वैसे ही रमजान से लेकर ईद तक बिना किसी कटौती के 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही, उन्होंने ईद के पर्व पर मुफ्त गैस सिलेंडर देने की वकालत की। उनका तर्क है कि अगर सरकार अन्य त्योहारों पर जनता को राहत दे सकती है, तो ईद के मौके पर भी ऐसा करना चाहिए। यह मांग सपा की उस छवि को मजबूत करने की कोशिश है, जिसमें वह खुद को अल्पसंख्यकों और आम जनता के हितों की पैरोकार के रूप में पेश करती है।
योगी सरकार का जवाब: सपा पर तंज
सपा की इस मांग पर योगी सरकार ने कड़ा रुख अपनाया। अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा नेताओं को जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में पहले से ही 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है, जो योगी सरकार की उपलब्धि है। दानिश ने सपा के शासनकाल की याद दिलाते हुए तंज कसा, “यह सपा की सरकार नहीं है कि एक हफ्ते दिन में और एक हफ्ते रात में बिजली मिलती थी।” उनका यह बयान न सिर्फ सपा की मांग को खारिज करता है, बल्कि योगी सरकार की बिजली व्यवस्था को बेहतर साबित करने की कोशिश भी है।
सियासी घमासान का असर
यह विवाद महज बिजली और सिलेंडर की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी सियासी मंशा भी झलकती है। सपा जहां इस मुद्दे के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय और आम जनता के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी इसे अपनी सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने लाने के अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रही है। दोनों पक्षों के बयानों से साफ है कि यह बहस आने वाले दिनों में और तेज हो सकती है, खासकर तब जब त्योहारों का मौसम नजदीक है।
जनता की नजर में क्या है हकीकत?
जहां सपा और योगी सरकार के बीच यह सियासी जंग छिड़ी है, वहीं आम जनता के लिए असल सवाल बिजली और गैस की उपलब्धता का है। क्या वाकई में यूपी में 24 घंटे बिजली मिल रही है, जैसा कि दानिश आजाद दावा कर रहे हैं? या फिर सपा की मांग के पीछे कोई वास्तविक समस्या है, जिसे जनता झेल रही है? ग्रामीण इलाकों में आज भी बिजली कटौती की शिकायतें सामने आती हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में स्थिति बेहतर बताई जाती है। ऐसे में यह बहस जनता के बीच सरकार की विश्वसनीयता को भी कसौटी पर रख रही है।
ईद पर बिजली की मांग: सपा की राजनीतिक चाल या योगी सरकार की परीक्षा?
ईद के मौके पर सपा की मांग और योगी सरकार का पलटवार एक बार फिर सियासत को जनता के दरवाजे तक ले आया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मांग सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहती है या इसका कोई ठोस परिणाम जनता के हित में निकलता है। फिलहाल तो यह साफ है कि त्योहारों का मौसम आते ही सियासी माहौल गर्म हो गया है, और इस बहस में बिजली से ज्यादा सियासी चिंगारियां निकलती दिख रही हैं।