इस सीजन में पहली बार दिल्ली-एनसीआर की हवा शुक्रवार को सबसे जहरीली दर्ज की गई। नोएडा और बुलंदशहर देश के सबसे प्रदूषित शहर रहे। दोनों शहरों को प्रदूषण स्तर 488 पर पहुंच गया है। वहीं, दिल्ली समेत एनसीआर के सभी शहरों की हवा भी खतरनाक स्तर के करीब पहुंची।
इसमें चार कारक सबसे प्रभावी रहे। तापमान कम होने से मिक्सिंग हाइट एक किमी से भी नीचे पहुंच गई। वहीं, सतह पर चलने वाली हवाएं भी थमी सी रहीं। दोनों के मिले-जुले असर वेंटिलेशन इंडेक्स भी संकरा हो गया। इसके साथ ही पराली के धुएं ने भी गहरा असर डाला।
दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का हिस्सा 35 फीसदी रहा। चारों कारकों के चक्रव्यूह में फंसने से दिल्ली-एनसीआर की हवाएं दिन भर दमघोंटू बनी रहीं। सफर का पूर्वानुमान है कि अगले दो दिन तक प्रदूषण छंटने के आसार नहीं दिख रहे हैं। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर के शहरों को प्रदूषण स्तर 450 से ऊपर बने रहने की आशंका है। सोमवार को सतह पर चलने वाली हवाओं की चाल बढ़ने की उम्मीद है। इससे प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है। फिर भी, इसके बेहद खराब और गंभीर स्तर की सीमा पर बने रहे का अनुमान है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संबंधित एजेंसियों को कड़ी निगरानी रखकर रोजाना प्रदूषण रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए हैं। उन्हें इसे आपातकाल मानकर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) का पालन करने को कहा है। घर से निकलना मजबूरी हो, तो कार पूलिंग करें, सार्वजनिक परिवहन लें। काम न हो तो घर से न निकलें। बहुत ही जरूरी हो, तो कम से कम समय के लिए घर से बाहर निकलें।
488 रहा नोएडा व बुलंदशहर का एक्यूआई
दो दिन प्रदूषण छंटने के आसार नहीं
35% रहा दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का हिस्सा
गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग घर से बाहर न निकलें
पूरे एनसीआर में एक्यूआई गंभीर श्रेणी का है। गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को घर से न निकलने की सलाह। सुबह-शाम सैर, जॉगिंग और एक्सरसाइज के लिए न जाएं। सुबह और देर शाम में दरवाजे और खिड़कियां न खोलें।
कहां कितना एक्यूआई
बुलंदशहर 488
नोएडा 488
गाजियाबाद 486
ग्रेटर नोएडा 478
दिल्ली 471
पर्यावरण मंत्रालय के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता के लिए आने वाला सप्ताह महत्वपूर्ण है। इसलिए कमेटी ने सभी संबंधित राज्य सरकारों और एजेंसियों को कार्रवाई तेज करने का निर्देश दिया है। कमेटी ने बैठक में कहा, हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। उस पर मौसम की मार ने हालात को बदतर बना दिया है।
विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि इस दौरान लोगों को खुले में किसी तरह की गतिविधि नहीं करनी चाहिए। सांस के मरीजों के साथ महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों को काफी ध्यान देने की जरूरत है।सीपीसीबी की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, नोएडा व बुलंदशहर देश का सबसे प्रदूषित रहा।
दोनों शहरों को 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 488 रिकार्ड किया गया। वहीं, गाजियाबाद का सूचकांक 486 पर पहुंच गया। जबकि दिल्ली का सूचकांक 471 रहा। एनसीआर के दूसरे शहरों की हवा भी कमोवेश इसी स्तर तक खराब रही। इस सीजन में पहली बार दिल्ली समेत पूरे एनसीआर के लोग 450 से ऊपर की खराब हवा में सांस ले रहे हैं।
मिक्सिंग लेयर हाइट का नीचे खिसक जाना: इसके एक किमी से भी नीचे आ जाने से प्रदूषक धरती की सतह से ज्यादा ऊपर तक नहीं फैल सके।
स्थानीय स्तर पर चलने वाली हवाओं की चाल कम: करीब दो मीटर प्रति सेंकेड की चाल से इंडेक्स खराब है। क्षैतिज दिशा में दूर-दूर तक प्रदूषक नहीं फैल सके।
मिक्सिंग हाइट नीचे आने और हवा की चाल घटने से वेंटिलेशन इंडेक्स हुआ संकरा: इस वजह से भी दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषकों को दूर तक जाना संभव नहीं हो सका।
पराली के धुएं का असर प्रभावी: धुएं का हिस्सा करीब 35 फीसदी होने से दिक्कत ज्यादा बढ़ गई। इस दौरान पराली जलाने की करीब 4056 मामले दर्ज किए गए।
सफर का पूर्वानुमान है कि अगले दो दिनों तक दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण में कमी आने की संकेत नहीं है। दूसरे मौसमी कारकों के साथ तापमान कम होने से हवा की गुणवत्ता गंभीर और खतरनाक स्तर की सीमा रेखा पर बनी रहेगी। इस बीच 13 नवंबर की शाम से पड़ोसी राज्यों से आने वाली हवाओं की चाल कम होगी। फिर भी यह ज्यादा असरदार नहीं होगी।
दिल्ली व एनसीआर के सभी शहरों का सूचकांक 450 से ऊपर रहने का अंदेशा है। इसके बाद सहत पर चलने वाली हवाओं की चाल में मामूली तेजी आएगी। इससे प्रदूषक दूर तक फैल सकते हैं और प्रदूषण का स्तर नीचे गिरेगा। फिर भी, हवा की गुणवत्ता बेहद खराब और गंभीर स्तर की सीमा पर बनी रहेगी।