N/A
Total Visitor
34.4 C
Delhi
Friday, June 27, 2025

दिल्ली मर्डर केस: हाईकोर्ट की पुलिस को फटकार, लापरवाही ने नष्ट किए सबूत

नई दिल्ली, 17 मई 2025, शनिवार। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक 20 वर्षीय युवक की संदिग्ध मौत के मामले में दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने दोनों पुलिस बलों की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनकी ढिलाई के कारण महत्वपूर्ण फॉरेंसिक सबूत हमेशा के लिए नष्ट हो गए। यह मामला न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि पीड़ित परिवार के लिए न्याय की राह को और मुश्किल बनाता है।

कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

जस्टिस अनूप जयराम अंबानी ने सुनवाई के दौरान दिल्ली और यूपी पुलिस की आपसी तकरार पर कड़ी फटकार लगाई। दोनों पुलिस बल एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते रहे, जिसके चलते मामले की जांच शुरू ही नहीं हो सकी। जस्टिस अंबानी ने कहा, “यह मामला पुलिस की लापरवाही का जीता-जागता सबूत है। एक युवक की संदिग्ध मौत की जांच में इतनी ढिलाई न केवल शर्मनाक है, बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है।”

क्या है पूरा मामला?

यह दिल दहला देने वाला मामला हर्ष कुमार शर्मा नाम के एक युवक से जुड़ा है। 3 दिसंबर 2024 को हर्ष अपने नोएडा स्थित कॉलेज से घर नहीं लौटा। उसी रात उसे ग्रेटर नोएडा के एक सुनसान इलाके में अपनी कार में मृत पाया गया। कार में एक कार्बन मोनोऑक्साइड सिलेंडर भी मिला, जिसने मामले को और रहस्यमय बना दिया। हर्ष की बहन ने दिल्ली और यूपी पुलिस में शिकायत दर्ज की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका में हत्या की आशंका जताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की गई।

पुलिस की लापरवाही ने बिगाड़ा खेल

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यूपी पुलिस की उस दलील को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट की जांच पूरी होने का इंतजार किया जा रहा है। कोर्ट ने इसे अनुचित ठहराते हुए कहा कि इतने गंभीर मामले में देरी बर्दाश्त नहीं की जा सकती। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि यूपी पुलिस ने बिना किसी जांच के हर्ष की कार पीड़ित परिवार को लौटा दी। इस कार में डीएनए, फिंगरप्रिंट या अन्य महत्वपूर्ण सबूत हो सकते थे, जो अब हमेशा के लिए नष्ट हो चुके हैं। कोर्ट ने इसे “अक्षम्य लापरवाही” करार दिया।

कोर्ट के सख्त निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस को भारतीय दंड संहिता की धारा 103 के तहत तत्काल जीरो FIR दर्ज करने का आदेश दिया। साथ ही, एक सप्ताह के भीतर सभी सबूत यूपी पुलिस को सौंपने को कहा। यूपी पुलिस को भी बिना देरी के FIR दर्ज कर जांच शुरू करने का निर्देश दिया गया।

न्याय की राह में बाधा

यह मामला पुलिस की लचर कार्यप्रणाली और आपसी समन्वय की कमी को उजागर करता है। हर्ष के परिवार का दर्द तब और बढ़ गया, जब उन्हें न केवल अपने बेटे की मौत का सदमा सहना पड़ा, बल्कि पुलिस की उदासीनता के कारण न्याय की उम्मीद भी धूमिल होती दिखी। दिल्ली हाईकोर्ट का यह कड़ा रुख अब इस मामले में नई उम्मीद जगा रहा है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »