नई दिल्ली, 18 जुलाई 2025: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इन-हाउस जांच पैनल की उस रिपोर्ट को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था। इसके साथ ही उन्होंने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना द्वारा की गई महाभियोग की सिफारिश को भी चुनौती दी है।
यह मामला मार्च 2025 में जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में लगी आग से शुरू हुआ। 14-15 मार्च की रात को दिल्ली में उनके आवास में आग लगने के बाद, दमकल विभाग को स्टोर रूम से जली हुई 500 रुपये की नोटों की गड्डियां मिली थीं। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की एक इन-हाउस जांच समिति गठित की थी।
समिति ने 55 गवाहों के बयान, फॉरेंसिक रिपोर्ट और फायर ब्रिगेड कर्मियों के बयानों के आधार पर अपनी जांच पूरी की। रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा और उनके परिवार को “प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से” नकदी रखने का जिम्मेदार ठहराया गया। पैनल ने यह भी दावा किया कि आग के बाद रातों-रात नकदी को हटाया गया और जानबूझकर सबूत नष्ट किए गए।
8 मई को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने इस रिपोर्ट को महाभियोग की सिफारिश के साथ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा था।
जस्टिस वर्मा ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे एक “षड्यंत्र” करार दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जांच पैनल की निष्पक्षता और प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं।