दिल्ली सरकार ने गुरुवार को उच्च न्यायालय में निजामुद्दीन स्थित मरकज मस्जिद को खोलने पर सहमति जताई। सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका पर जवाब देते हुए कहा कि धार्मिक गतिविधि के लिए मस्जिद खोलने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए जारी दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने के बाद 31 मार्च, 2020 से मरकज मस्जिद को धार्मिक गतिविधियों के लिए बंद कर दिया गया था।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता के समक्ष सरकार की ओर से स्थाई अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि सामाजिक दूरी के नियमों की अनदेखी कर मरकज मस्जिद में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के मामले में आरोपी बनाए गए अधिकांश लोगों को बरी कर दिया गया है या आरोपमुक्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि बाकी लोगों के खिलाफ मुकमदमे की सुनवाई पूरी होने में वक्त लगेगा। मेहरा ने कहा कि ऐसे में यदि मस्जिद को धार्मिक गतिविधियों के लिए खोला जाता है तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बारे में न्यायालय उचित आदेश पारित कर सकती है।
मेहरा ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिका में मस्जिद को धार्मिक गतिविधियों के खोलने की अनुमति देने की मांग की गइ थी। साथ ही इस परिसर में मौजूद मदरसा और छात्रावास को खोलने की मांग की। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि पुलिस वहां से तस्वीरें, स्कैच तैयार करवा सकती है ताकि इससे संबंधित मामले में साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल कर सके।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय से कहा कि मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए। इसका वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने विरोध नहीं किया। इसके बाद मामले की सुनवाई 5मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया