20.1 C
Delhi
Sunday, February 23, 2025

दिल्ली विधानसभा चुनाव: त्रिलोकपुरी सीट पर AAP और BJP के बीच क्या है मुकाबला?

नई दिल्ली, 17 जनवरी 2025, शुक्रवार। दिल्ली में कड़ाके की ठंड हैं। हर दिन तापमान गिर रहा है और मौसम सर्द है मगर बात राजनीति की करें ती सियासत का तापमान नेता और जनता के बीच गर्माहट पैदा कर रही है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। दिल्ली में नेताओं कि जुबानी सियासी जंग के बीच राजनीति की नब्ज पकड़ने के लिए हम पहुंचे पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी विधानसभा क्षेत्र में। इस विधानसभा सीट पर पिछले 11 सालों से आम आदमी का कब्जा है। आम आदमी पार्टी से पहले ये सीट कॉंग्रेस के कहते में जाती थी। पूर्वी दिल्ली की त्रिलोकपुरी सीट आरक्षित सीट है जहां से पिछड़े वर्ग के दलित उम्मीदवार चुनावी रण में विकास के वादों के साथ उतरते हैं। इस सीट को पारंपरिक रूप से बीजेपी का नहीं माना जाता है। सिर्फ एक बार त्रिलोकपुरी विधानसभा सीट पर बीजेपी ने कमल खिलाया था। इस सीट पर 2008 में बीजेपी के सुनील कुमार ने त्रिलोकपुरी विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। 1993 में पहली बार पूर्वी दिल्ली की त्रिलोकपुरी सीट अस्तित्व में आया था और उस समय काँग्रेस के ब्रह्मपाल यहाँ से विधायक बने थे। दिल्ली को विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद 1993 में त्रिलोकपुरी सीट अस्तित्व में आया था। 1993 से लेकर 2008 तक इस सीट पर एकतरफा कांग्रेस का कब्जा रहा। बाद में यहां आम आदमी पार्टी ने अपना मजबूत गढ़ बना लिया। साल 2013, 2015, 2020 में यह सीट आम आदमी पार्टी के पास है। आम आदमी पार्टी से दो बार राजू धींगान विधायक रहें और फिर 2020 में रोहित मेहरौलिया विधायक बने। इस बार फिर इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपना चेहरा बदला है और रोहित मेहरौलिया की जगह महिला उम्मीदवार अनजान प्राचा को मैदान में उतारा है। त्रिलोकपुरी की आरक्षित सीट पर बीजेपी ने ने बेहद युवा और पढे-लिखे चेहरा रविकांत उज्जैनवाला को मौका दिया है।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी दिल्ली की त्रिलोकपुरी विधानसभा एक आरक्षित सीट है। सर्द शाम और राजनीतिक गर्माहट के बीच हमारी इस बात-चीत में आप के मौजूदा विधायक रोहित महरौलिया से जनता की शिकायतें अपार थीं। समस्याओं का ढेर था, बदलाव की चाहत थी मगर राजनेताओं ने झूठे वादों के इतने बड़े पहाड़ खड़े कर दिए कि किसी भी पार्टी या उम्मीदवार पर इस क्षेत्र की जनता को विश्वास नहीं था। भ्रष्टाचार से तंग त्रिलोकपुरी की जनता ने आप की झाड़ू को कट्टर ईमानदार मान कर मौका तो दिया मगर उनका कहना है कि फ्री के नाम पर उन्हे सिर्फ धोखा ही मिला। लोगों की शिकायत है कि सत्ता बदल गई मगर तंग गलियों के दिन नहीं बदले । त्रिलोकपुरी के उम्मीदवारों का खूब विकास हुआ । उनकी झुग्गी झोपड़ी कोठी बन गई। मगर जनता का विकास नहीं हुआ हुआ। सीवर लगाने की नाम पर भ्रष्टाचार तो खूब हुआ। वहाँ भी सीवर बिछाये गए जिन गलियों में जगह नहीं था मगर नली और नालों के दिन नहीं बदले। वो आज भी वैसे ही जाम है। जरा सी बारिश में गालियां गलीच हों जातीं हैं। पानी फ्री तो किया मगर नल से रोज नाले जैसी बदबूदार पानी आते हैं।
इस क्षेत्र के सबसे बुजुर्ग और पूर्व प्रधान फूल सिंह ने बताया कि “हमने केजरिवल जी को बड़े विश्वास के साथ वोट दिया था कि हमारे दिन बदलेंगे लेकिन हमारी हालत बाद से बदतर हो गई है ।” फूलसिंह का कहना है कि बुजुर्ग पेंशन का वो वादा तो केजरीवाल जी ने किया लेकिन अभी भी दिल्ली में बुजुर्गों के पेंशन के लिए लोगों को पापड़ बेलने पड़ रहे है । बुजुर्ग पेंशन या तो नहीं आ रहा है या अगर आ भी रहा है तो चार -छह महीने में एक बार। फूल सिंह ने बताया कि दिल्ली में बुजुर्गों का अंतिम पेंशन छह महीने पहले आया था। इस क्षेत्र में समस्या महिलाओं की भी कुछ कम नहीं थी। त्रिलोकपुरी विधानसभा की महिलाएं गंदी गलियों , जाम नाले , नल से आता बदबूदार पानी से तो परेशान थीं ही साथ ही उन्हें सबसे ज़्यादा दुख इस बात का था कि इस क्षेत्र में विधायक और पार्षद पिछले 10 साल से आम आदमी पार्टी के है जो क्षेत्र में चुनाव होने के बाद नज़र नहीं आते। सिर्फ़ चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं। ऐसे में वो अपनी समस्या लेकर जायें तो कहाँ जायें। उन्होंने अपनी बात -चीत में कहा कि स्वास्थ्य सुविधा का आलम ये है कि मोहल्ला क्लिनिक कूड़ेदान में तब्दील हो चुका है और गाये और कुत्तों के लिए शेल्टर की जगह बन चुका है। महिलाओं ने माँग की है कि अस्पताल के हालात ठीक होनी चाहिए ताकि तबीयत खराब होने पर दवा और डॉक्टर बड़ी परेशानी नहीं बने।

त्रिलोकपुरी के बच्चे शराब के ठेके से परेशान थे क्योंकि वो घर में झगड़े और फसाद की जड़ बन गया है। बच्चों ने हमसे बात-चीत करते हुए कहा कि मैडम ठेके बंद करवा दो। इस शराब नीति ने हमारे घरों को बर्बाद कर दिया है। पीने के बाद हमारे घरों में और आस-पड़ोस में काफी लड़ाई -झगड़े होते हैं। जिससे हम परेशान हैं। हमें अपने घरों में शराब नहीं चाहिए।

जनता से त्रिलोकपुरी के विकास पर अभी बात-चीत चल ही रही थी कि त्रिलोकपुरी विधानसभा सीट के बीजेपी उम्मीदवार रविकान्त उज्जैनवाला भी गुरुवार को अपना नामांकन दाखिल करने के बाद अपने क्षेत्र में ढोल नगाड़ों के साथ जनता से वोट मांगने पहुंचे । जनता की इस मूलभूत समस्या पर जब हमने हमने रविकांत से बात की तो उन्होंने बताया कि उनका बचपन इन्हीं गलियों में बीता है पार्टियां वोट मांगने तो आती है मगर जीतने के बाद उम्मीदवार कहाँ गायब हो जाते हैं ये किसीको नहीं पता सबसे पहले वो त्रिलोकपुरी कसेटर जहां के वो रहने वाले होते हैं वहाँ से अपना ठीकना बदल देते हैं और उनका नया पता किसी को पता नहीं होता है इसीलिए समस्या लेकर किसके पास जाएँ किसी को पता नहीं होता । मगर रविकांत ने वादा किया कि वो यहीं जहां के वो रहने वाले हैं और जहां से जनता उन्हें जिताएगी वहीं रहेंगे । उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल से त्रिलोकपुरी के पार्षद और विधायक दोनों ही आम आदमी पार्टी के हैं मगर झाड़ू ने त्रिलोकपुरी की गंदगी की सफाई नहीं की । विकास की मूलभूत सुविधाओं से त्रिलोकपुरी आज भी वंचित हैं जब हम जीत कर आएंगे तो उन सभी समस्याओं का समाधान यहीं त्रिलोकपुरी में रह कर करेंगे । रविकांत उज्जैनवाला का कहना है कि आम आदमी पार्टी के पहले जो उम्मीदवार रहे वो इतने नाकाबिल थे कि केजरीवाल को भी अपने जीते हुए विधायक पर विश्वास नहीं रहा और उन्होंने त्रिलोकपुरी अपने उम्मीदवार का चेहरा बदल दिया । दिल्ली की जनता त्रस्त है । आम आदमी पार्टी के हालत इतनी खराब है , खास कर पूर्वी दिल्ली में कि यहाँ तक कि मनीष सीसोदिया को भी पूर्वी दिल्ली छोड़ कर जाना पड़ा । पूर्वी दिल्ली से त्रिलोकपुरी के बीजेपी उम्मीदवार रविकान्त उज्जैनवाला ने विश्वास जताया है कि आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल से परेशान जनता इस बार कमाल पर ही बटन दबाएगी ।
बता दें कि दिल्ली में 70 विधानसभा सीट में से 12 मंगोलपुरी, मादीपुर, सीमापुरी, त्रिलोकपुरी, सुल्तानपुर माजरा, गोकुलपुर, बवाना, पटेल नगर, कोंडली, अंबेडकर नगर, देवली और करोलबाग विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। भले ही यहां एक दर्जन सीटे हैं, लेकिन ये सभी दिल्ली की सत्ता की दिशा और दशा को तय करने वाली मानी जाती है । अब तक के ट्रेंड को देखें तो 1993 से लेकर 2020 तक दिल्ली में आरक्षित सीटों से ही सत्ता का रास्ता निकला है। इन 12 सीटों पर जिस भी दल को जीत मिली है, वो दल दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब रहा है। राजधानी के तीन दशक के चुनावी वोटिंग पैटर्न को देखें तो साफ है कि आरक्षित सीटों का वोटिंग ट्रेंड एक तरह का रहा है जिसमें बीजेपी का नंबर सबसे अंत में आता है । इन सीटों का जनादेश कभी बिखरा नहीं है और 12 में से एक दल को ही अधिकांश सीटें मिलती हैं। ऐसे में देखें तो दिल्ली की सत्ता की दशा और दिशा आरक्षित सीटों से तय होती है । साल 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए इन सेयतों की जनता को मनाने में जुट गई हैं और आरक्षित सीट पर अपने जीत दर्ज की भरसक कोशिश में लग गई हैं । उल्लेखनीय है कि त्रिलोकपुरी विधानसभा पूर्वी दिल्ली की एक SC सीट है। AAP, BJP इस निर्वाचन क्षेत्र में मुख्य राजनीतिक दल हैं। 2020 के विधानसभा मे AAP के रोहित महरौलीया ने 12,486 वोटों के अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्हें 52.36 % वोट शेयर के साथ 69,947 वोट मिले थे। उन्होंने BJP की किरण को हराया था, जिन्हें 57,461 वोट 43.01 % वोट मिले थे। वहीं 2015 की अगर बात करें तो 2015 के विधानसभा चुनाव में 58.62 % वोट शेयर के साथ 74,907 वोट से आम आदमी पार्टी के राजू धिंगान ने इस सीट से जीवोट त हासिल की थी। 2015 में भी बीजेपी से किरण वैधया ही उम्मीदवार थीं जिन्हें 45,153 वोट यानि 35.34 % मिले थे ।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »