नई दिल्ली, 17 जनवरी 2025, शुक्रवार। दिल्ली में कड़ाके की ठंड हैं। हर दिन तापमान गिर रहा है और मौसम सर्द है मगर बात राजनीति की करें ती सियासत का तापमान नेता और जनता के बीच गर्माहट पैदा कर रही है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। दिल्ली में नेताओं कि जुबानी सियासी जंग के बीच राजनीति की नब्ज पकड़ने के लिए हम पहुंचे पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी विधानसभा क्षेत्र में। इस विधानसभा सीट पर पिछले 11 सालों से आम आदमी का कब्जा है। आम आदमी पार्टी से पहले ये सीट कॉंग्रेस के कहते में जाती थी। पूर्वी दिल्ली की त्रिलोकपुरी सीट आरक्षित सीट है जहां से पिछड़े वर्ग के दलित उम्मीदवार चुनावी रण में विकास के वादों के साथ उतरते हैं। इस सीट को पारंपरिक रूप से बीजेपी का नहीं माना जाता है। सिर्फ एक बार त्रिलोकपुरी विधानसभा सीट पर बीजेपी ने कमल खिलाया था। इस सीट पर 2008 में बीजेपी के सुनील कुमार ने त्रिलोकपुरी विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। 1993 में पहली बार पूर्वी दिल्ली की त्रिलोकपुरी सीट अस्तित्व में आया था और उस समय काँग्रेस के ब्रह्मपाल यहाँ से विधायक बने थे। दिल्ली को विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद 1993 में त्रिलोकपुरी सीट अस्तित्व में आया था। 1993 से लेकर 2008 तक इस सीट पर एकतरफा कांग्रेस का कब्जा रहा। बाद में यहां आम आदमी पार्टी ने अपना मजबूत गढ़ बना लिया। साल 2013, 2015, 2020 में यह सीट आम आदमी पार्टी के पास है। आम आदमी पार्टी से दो बार राजू धींगान विधायक रहें और फिर 2020 में रोहित मेहरौलिया विधायक बने। इस बार फिर इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपना चेहरा बदला है और रोहित मेहरौलिया की जगह महिला उम्मीदवार अनजान प्राचा को मैदान में उतारा है। त्रिलोकपुरी की आरक्षित सीट पर बीजेपी ने ने बेहद युवा और पढे-लिखे चेहरा रविकांत उज्जैनवाला को मौका दिया है।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी दिल्ली की त्रिलोकपुरी विधानसभा एक आरक्षित सीट है। सर्द शाम और राजनीतिक गर्माहट के बीच हमारी इस बात-चीत में आप के मौजूदा विधायक रोहित महरौलिया से जनता की शिकायतें अपार थीं। समस्याओं का ढेर था, बदलाव की चाहत थी मगर राजनेताओं ने झूठे वादों के इतने बड़े पहाड़ खड़े कर दिए कि किसी भी पार्टी या उम्मीदवार पर इस क्षेत्र की जनता को विश्वास नहीं था। भ्रष्टाचार से तंग त्रिलोकपुरी की जनता ने आप की झाड़ू को कट्टर ईमानदार मान कर मौका तो दिया मगर उनका कहना है कि फ्री के नाम पर उन्हे सिर्फ धोखा ही मिला। लोगों की शिकायत है कि सत्ता बदल गई मगर तंग गलियों के दिन नहीं बदले । त्रिलोकपुरी के उम्मीदवारों का खूब विकास हुआ । उनकी झुग्गी झोपड़ी कोठी बन गई। मगर जनता का विकास नहीं हुआ हुआ। सीवर लगाने की नाम पर भ्रष्टाचार तो खूब हुआ। वहाँ भी सीवर बिछाये गए जिन गलियों में जगह नहीं था मगर नली और नालों के दिन नहीं बदले। वो आज भी वैसे ही जाम है। जरा सी बारिश में गालियां गलीच हों जातीं हैं। पानी फ्री तो किया मगर नल से रोज नाले जैसी बदबूदार पानी आते हैं।
इस क्षेत्र के सबसे बुजुर्ग और पूर्व प्रधान फूल सिंह ने बताया कि “हमने केजरिवल जी को बड़े विश्वास के साथ वोट दिया था कि हमारे दिन बदलेंगे लेकिन हमारी हालत बाद से बदतर हो गई है ।” फूलसिंह का कहना है कि बुजुर्ग पेंशन का वो वादा तो केजरीवाल जी ने किया लेकिन अभी भी दिल्ली में बुजुर्गों के पेंशन के लिए लोगों को पापड़ बेलने पड़ रहे है । बुजुर्ग पेंशन या तो नहीं आ रहा है या अगर आ भी रहा है तो चार -छह महीने में एक बार। फूल सिंह ने बताया कि दिल्ली में बुजुर्गों का अंतिम पेंशन छह महीने पहले आया था। इस क्षेत्र में समस्या महिलाओं की भी कुछ कम नहीं थी। त्रिलोकपुरी विधानसभा की महिलाएं गंदी गलियों , जाम नाले , नल से आता बदबूदार पानी से तो परेशान थीं ही साथ ही उन्हें सबसे ज़्यादा दुख इस बात का था कि इस क्षेत्र में विधायक और पार्षद पिछले 10 साल से आम आदमी पार्टी के है जो क्षेत्र में चुनाव होने के बाद नज़र नहीं आते। सिर्फ़ चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं। ऐसे में वो अपनी समस्या लेकर जायें तो कहाँ जायें। उन्होंने अपनी बात -चीत में कहा कि स्वास्थ्य सुविधा का आलम ये है कि मोहल्ला क्लिनिक कूड़ेदान में तब्दील हो चुका है और गाये और कुत्तों के लिए शेल्टर की जगह बन चुका है। महिलाओं ने माँग की है कि अस्पताल के हालात ठीक होनी चाहिए ताकि तबीयत खराब होने पर दवा और डॉक्टर बड़ी परेशानी नहीं बने।
त्रिलोकपुरी के बच्चे शराब के ठेके से परेशान थे क्योंकि वो घर में झगड़े और फसाद की जड़ बन गया है। बच्चों ने हमसे बात-चीत करते हुए कहा कि मैडम ठेके बंद करवा दो। इस शराब नीति ने हमारे घरों को बर्बाद कर दिया है। पीने के बाद हमारे घरों में और आस-पड़ोस में काफी लड़ाई -झगड़े होते हैं। जिससे हम परेशान हैं। हमें अपने घरों में शराब नहीं चाहिए।