देश का सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान दिल्ली एम्स कॉरपोरेट शैली में कार्य करेगा। सरकार ने एम्स निदेशक पद के साथ मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को भी जोड़ दिया है जिसके बाद निदेशक पद की निर्णायक क्षमता भी बढ़ गई है।
जानकारी के अनुसार, दो दिन पहले ही सरकार ने हैदराबाद स्थित ईएसआई अस्पताल के प्रमुख डॉ. एम श्रीनिवास को एम्स का निदेशक और सीईओ नियुक्त किया। कुछ समय पहले सरकार ने रेलवे के चेयरमेन पद को भी इसी तरह सीईओ के साथ जोड़ा था। हालांकि, दोनों निर्णय का उद्देश्य अलग अलग है। सूत्रों की मानें तो कोरोना महामारी के चलते स्वास्थ्य की भूमिका और अधिक बढ़ी है।
ऐसे में एम्स में चिकित्सा सेवा, प्रशासनिक कार्य और नई योजनाओं पर स्वतः निर्णय लेने के लिए निदेशक को अधिकार दिए गए हैं। हालांकि, एम्स के ही एक अधिकारी ने साफ तौर पर कहा, ‘इसका मतलब यह कतई नहीं है कि एम्स का निजीकरण किया जा रहा है। यह सिर्फ कार्यशैली से जुड़ा मामला है जिसका लाभ आम जनता को मिलेगा और संस्थान का विकास भी तेजी से होगा।
अधिकारी ने बताया, ‘अक्सर सरकारी कार्यालय में छोटी छोटी योजनाएं, प्रस्ताव या फिर किसी नई पहल के लिए अनुमति प्रक्रिया काफी लंबी होती है। स्वास्थ्य के लिहाज से बात करें तो इस प्रक्रिया का तोड़ निकालना बहुत जरूरी है ताकि जनहित में कार्य किया जा सके।
परिवारों का हौसला व अंगदान को बढ़ावा देने के लिए एम्स के निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. एम श्रीनिवास ने रविवार को इंस्टीट्यूशन फाउंडेशन डे-2022 अंगदान करने का संकल्प लिया है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 के महज पांच माह में करीब 11 लोगों ने अंगदान किया है।
एम्स सर्जरी विभाग के डॉक्टर द्वारा एक लेक्चर में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में सबसे ज्यादा अंगदान के लिए डोनर मिले। कोरोना के कारण साल 2021 में एक भी डोनर नहीं मिला। जबकि साल 2022 के पांच माह में कम डोनर मिलने के बाद भी ज्यादा अंगदान हुए। एक साल में हुए अंगदान के मामले में यह आंकड़ा पिछले 7 साल में सर्वाधिक है।