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Sunday, July 6, 2025

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 75 परियोजनाओं का किया उद्घाटन,श्योक सेतु समेत

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ जम्मू कश्मीर और लद्दाख के दो दिवसीय दौरे पर हैं। शुक्रवार को दौरे के दूसरे दिन रक्षा मंत्री लेह में श्योक सेतु समेत 75 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उनके साथ डीजी बीआरओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी भी मौजूद रहे।

इससे पहले गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रीनगर के बडगाम में शौर्य दिवस समारोह में शिरकत की। यहां उन्होंन कहा कि सबसे दुखद तो तब रहा जब कश्मीरी पंडितों की हत्या से उन्हें घाटी से पलायन करने के लिए मजबूर किया गया। समाज का प्रबुद्ध वर्ग जब अन्याय के खिलाफ अपना मुंह बंद कर ले तो समाज के पतन में देरी नहीं लगती है। इस इलाके में जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना या राज्य के सुरक्षा बलों द्वारा आतंकियों व उनके मददगारों पर जब कोई कार्रवाई की गई है तो देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों को उस कार्रवाई में आतंकियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन नजर आया है।

उन्होंने कहा कि कश्मीरियत के नाम पर आतंकवाद का जो तांडव इस प्रदेश ने देखा उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। अनंत जानें गईं और अनंत घर उजड़ गए। धर्म के नाम कितना खून बहाया गया उसका कोई हिसाब नहीं है। आतंकवाद को कई लोगों ने मजहब से जोड़ने की कोशिश की। यहां आदि शंकराचार्य मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। वे संपूर्ण भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोने वाले महापुरुष थे। वह राष्ट्र की एकता के प्रतीक थे। यहां पर उनके नाम पर मंदिर होना भी सांस्कृतिक एकता का बड़ा प्रतीक है।

देश का अभिन्न अंग होने के बाद भी जम्मू-कश्मीर से भेदभाव

उन्होंने कहा कि देश का अभिन्न अंग होने के बाद भी जम्मू-कश्मीर के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा था। एक राष्ट्र में दो विधान, दो निशान व दो प्रधान काम कर रहे थे। सरकार की अनेक कल्याण योजनाएं दिल्ली से चलती थीं पर पंजाब व हिमाचल की सीमा तक आते आते रुक जाती थीं। आजादी के बाद से ही धरती का स्वर्ग कहे जाना वाला यह प्रदेश कुछ स्वार्थपूर्ण राजनीति की भेंट चढ़ गया और एक सामान्य जीवन जीने के लिए तरस गया था। इसी स्वार्थपूर्ण राजनीति के चलते पूरे प्रांत को लंबे समय तक अंधेरे में रखा गया। कहा कि आज का यह शौर्य दिवस उन वीर सेनानियों की कुर्बानियों को याद करने का दिन है जिन्होंने 27 अक्तूबर 1947 को प्रदेश की अखंडता की रक्षा की। इस युद्ध में सेना के साथ ही कश्मीरियों का सहयोग भी उल्लेखनीय रहा। आज भारत की जो विशाल इमारत हमें दिखाई दे रही है वह हमारे वीर योद्धाओं के बलिदान की नींव पर ही टिकी है। भारत नाम का यह विशाल वटवृक्ष उन्हीं वीर जवानों के खून व पसीने से अभिसिंचित है।

 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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