नई दिल्ली, 19 मई 2025, सोमवार। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रविवार को एक सनसनीखेज घटना ने सुर्खियां बटोरीं, जब लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के कुख्यात आतंकी रजाउल्लाह निजामनी उर्फ अबू सैफुल्लाह खालिद को तीन अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर ढेर कर दिया। खालिद, जो भारत में कई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था, की मौत को लश्कर के नेटवर्क के लिए करारा झटका माना जा रहा है। यह घटना भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखी जा रही है।
खालिद का खौफनाक इतिहास
अबू सैफुल्लाह खालिद ने भारत में आतंक का पर्याय बन चुके कई हमलों को अंजाम दिया था। 2006 में नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय पर हुए हमले का वो मास्टरमाइंड था, जिसमें तीन आतंकी मारे गए थे। इसके अलावा, 2005 में बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) पर हुए हमले में भी उसका हाथ था, जिसमें आईआईटी के प्रोफेसर मुनीश चंद्र पुरी की जान चली गई थी। 2008 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले, जिसमें सात जवान और एक नागरिक मारे गए थे, के पीछे भी खालिद की साजिश थी।
खालिद ने 2000 की शुरुआत में नेपाल से लश्कर की गतिविधियों को संचालित किया। वहां वो कैडरों की भर्ती, वित्तीय और रसद सहायता, और भारत-नेपाल सीमा पर आतंकियों की आवाजाही को सुगम बनाने में जुटा था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने जब उसके मॉड्यूल का पर्दाफाश किया, तो वो पाकिस्तान भाग गया, जहां से उसने अपनी आतंकी गतिविधियां जारी रखीं।
लश्कर और जमात-उद-दावा का खतरनाक चेहरा
खालिद ने लश्कर और जमात-उद-दावा के कई बड़े नेताओं, जैसे यूसुफ मुजम्मिल, मुजम्मिल इकबाल हाशमी और मुहम्मद यूसुफ तैबी के साथ मिलकर भारत विरोधी साजिशें रचीं। उसे सिंध के बादिन और हैदराबाद जिलों में नए आतंकियों की भर्ती और संगठन के लिए धन जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। विभिन्न उपनामों—गाजी, विनोद कुमार, मोहम्मद सलीम—के साथ वो अपनी पहचान छिपाकर आतंक का खेल खेलता रहा।
मौत का रहस्यमयी मंजर
सिंध के बदनी में रविवार दोपहर, जब खालिद अपने घर से निकला, तो एक क्रॉसिंग पर हमलावरों ने उसे गोलियों से भून डाला। गोली लगने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। कुछ रिपोर्ट्स में आपसी रंजिश को हत्या का कारण बताया जा रहा है, लेकिन इसकी सच्चाई अभी स्पष्ट नहीं है। खालिद की मौत ने लश्कर के आतंकी नेटवर्क को गहरी चोट पहुंचाई है।
पाकिस्तान में आतंकियों का सफाया
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में 16 से अधिक आतंकी अज्ञात हमलावरों के हाथों मारे जा चुके हैं। इनमें लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के कई बड़े नाम शामिल हैं। मार्च 2025 में लश्कर के आतंकी अबू कतल (जियाउर रहमान) को झेलम में मार गिराया गया था। अक्टूबर 2023 में पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ को सियालकोट में एक मस्जिद में गोली मारी गई थी। हाफिज सईद के करीबी अदनान अहमद भी इसी तरह मारा गया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भी कई आतंकी ढेर किए गए।
भारत के लिए राहत, लश्कर के लिए संकट
खालिद की मौत न केवल लश्कर के लिए एक बड़ा नुकसान है, बल्कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ जंग में एक मील का पत्थर भी है। उसका खात्मा लश्कर के नेटवर्क को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाएगा। यह घटना इस बात का सबूत है कि आतंक का कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद विरोधी ताकतों के लिए यह एक प्रेरणा है कि आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने का सिलसिला जारी रहेगा।