भोपाल, 14 अप्रैल 2025, सोमवार। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की पॉश अरेरा कॉलोनी में एक सनसनीखेज घटना ने सभी को हतप्रभ कर दिया। जिस आईपीएस अफसर के नाम से कभी चंबल के खूंखार डकैत थर-थर कांपते थे, उसी रिटायर्ड डीजीपी एच.एम. जोशी पर उनके ही नौकर ने जानलेवा हमला कर दिया। 99 वर्षीय पूर्व डीजीपी ने हबीबगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि उनके केयरटेकर रफीक अहमद ने गला दबाकर उनसे मोटी रकम की मांग की। यह घटना न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि उस शख्सियत पर सवाल उठाती है, जिसके साहस और शौर्य की कहानियां आज भी मध्य प्रदेश पुलिस के गलियारों में गूंजती हैं।
जोशी: एक नाम, जिसने डकैतों को घुटनों पर ला दिया
1980 में मध्य प्रदेश के डीजीपी रहे एच.एम. जोशी का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। उस दौर में, जब चंबल की घाटियां डकैतों के आतंक से दहलती थीं, जोशी ने अपने कुशल नेतृत्व और रणनीति से 400 से ज्यादा डकैतों को सरेंडर करवाया था। उनकी दृढ़ता और निडरता ने न केवल अपराधियों के मन में खौफ पैदा किया, बल्कि आम लोगों के लिए भी वे एक मिसाल बन गए। लेकिन आज, उसी शख्स को अपने ही घर में असुरक्षा का सामना करना पड़ा।
घटना का दिल दहलाने वाला मंजर
पूर्व डीजीपी ने अपनी शिकायत में बताया कि वह अपने आवास पर अखबार पढ़ रहे थे, तभी उनका केयरटेकर रफीक अहमद उनके पास आया। अचानक उसने जोशी का गला दबाना शुरू कर दिया और मोटी रकम की मांग करने लगा। 99 साल की उम्र में भी जोशी ने हिम्मत नहीं हारी, लेकिन स्थिति तब संभली जब उनके घर पर खाना बनाने वाली महिला वहां पहुंच गई। महिला के चिल्लाने की आवाज सुनकर रफीक डरकर भाग खड़ा हुआ। यह संयोग ही था कि जोशी की जान बच गई, वरना एक भयावह हादसा हो सकता था।
पुलिस का एक्शन और जांच
हबीबगंज थाना प्रभारी संजीव चौकसे ने बताया कि पूर्व डीजीपी की शिकायत पर केयरटेकर रफीक के खिलाफ मारपीट और धमकाने का मामला दर्ज किया गया है। एडिशनल डीसीपी रश्मि दुबे ने गुरुवार शाम जोशी से मुलाकात कर घटना की पूरी जानकारी ली। पुलिस अब उस हायरिंग एजेंसी के संचालक से भी पूछताछ करने की तैयारी में है, जिसके जरिए रफीक को नौकरी पर रखा गया था।
जोशी का परिवार: एक चर्चित विरासत
एच.एम. जोशी का परिवार भी अपनी उपलब्धियों के लिए जाना जाता है। उनके बड़े बेटे अरविंद जोशी आईएएस अफसर रह चुके हैं, और उनकी बहू टीनू जोशी एक चर्चित आईएएस अधिकारी हैं। वर्तमान में जोशी अपने छोटे बेटे के साथ रहते हैं। घटना के समय वह घर पर अकेले थे, जिसका फायदा उठाकर रफीक ने इस वारदात को अंजाम देने की कोशिश की।
सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है। जिस शख्स ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा समाज की सुरक्षा को समर्पित किया, वह अपने घर में ही असुरक्षित कैसे हो गया? केयरटेकर की नियुक्ति में लापरवाही का जिम्मेदार कौन है? पुलिस अब इस मामले की तह तक जाने का दावा कर रही है, लेकिन यह घटना समाज में विश्वास और सुरक्षा की नींव को हिलाने वाली है।