वाराणसी, 14 अप्रैल 2025, सोमवार। वाराणसी की गलियों से साइबर दुनिया तक, ठगों ने फैलाया था अपना जाल, लेकिन अब वाराणसी साइबर क्राइम पुलिस ने दो कुख्यात साइबर ठगों को दबोच लिया है। इन ठगों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे क्रेडिट कार्ड बनवाकर 34 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया था। पुलिस ने न सिर्फ इन अपराधियों को पकड़ा, बल्कि इनके पास से एक कार, दो मोबाइल फोन और नकदी भी बरामद की है।
गुड़गांव से शुरू हुई कहानी
साल 2024 में गुड़गांव के जूड रेज फ्रेंकलिन, जो अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग में कार्यरत हैं, ने वाराणसी के साइबर क्राइम थाने में एक शिकायत दर्ज की। उन्होंने बताया कि अज्ञात लोग फर्जी आधार, पैन कार्ड और अन्य दस्तावेजों का इस्तेमाल कर क्रेडिट कार्ड बनवा रहे हैं और लाखों की ठगी कर रहे हैं। उनकी शिकायत में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति के नाम पर क्रेडिट कार्ड बनाकर 34 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई।
पहले दो जेल, अब बाकी भी पकड़े गए
साइबर क्राइम थाना प्रभारी राजीव कुमार सिंह ने सोमवार को घटना का खुलासा करते हुए बताया कि इस मामले में पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर तुरंत कार्रवाई शुरू हुई। पहले दो अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था, लेकिन दो अन्य अपराधी फरार थे। इन फरार ठगों पर डीसीपी क्राइम प्रमोद कुमार ने 10-10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। आखिरकार, साइबर पुलिस की मेहनत रंग लाई और दोनों इनामिया अपराधी पंकज प्रजापति और संदीप भारती को गिरफ्तार कर लिया गया।
ठगी का मास्टर प्लान
पूछताछ में इन ठगों ने अपना गुनाह कबूल किया। पंकज प्रजापति (चांदपुर, वाराणसी) और संदीप भारती (महेशपुर, वाराणसी) ने बताया कि वे जल्दी पैसा कमाने के लालच में इस गोरखधंधे में शामिल हुए। उनका निशाना वे लोग थे, जिनका सिविल स्कोर अच्छा होता था। ऐसे लोगों के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर वे 40 से 50 लाख रुपये की लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड बनवाते थे। पकड़े जाने से बचने के लिए वे उन बैंकों को चुनते थे, जो वीडियो कॉल पर केवाईसी करते हों। इन क्रेडिट कार्ड्स से वे लग्जरी शॉपिंग करते और अपने शौक पूरे करते थे।
पुलिस की सख्ती, जेल की सैर
पुलिस ने दोनों अपराधियों से गहन पूछताछ के बाद उन्हें जेल भेज दिया है। वाराणसी साइबर क्राइम पुलिस की इस कार्रवाई ने न सिर्फ ठगों के मंसूबों पर पानी फेरा, बल्कि आम लोगों को भी साइबर ठगी से सावधान रहने का संदेश दिया है। यह मामला एक बार फिर बताता है कि डिजिटल दुनिया में सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।