नई दिल्ली, 26 मई 2025, सोमवार। आज के डिजिटल युग में साइबर ठगी एक ऐसी हकीकत बन चुकी है, जो हर दिन नई-नई शक्ल लेकर सामने आ रही है। लेकिन कर्नाटक के हावेरी और आसपास के जिलों में जो हुआ, वह साइबर अपराध की दुनिया में एक नया और चौंकाने वाला अध्याय है। यहां ठगों ने न तो किसी सरकारी अधिकारी के नाम का सहारा लिया, न ही सीबीआई या ईडी जैसे संस्थानों का। बल्कि, उन्होंने दुनिया के सबसे चर्चित नामों में से एक—अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप—के नाम का इस्तेमाल कर सैकड़ों लोगों को अपने जाल में फंसाया और करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दिया।
ट्रंप के नाम पर बिछा धोखे का जाल
कर्नाटक के हावेरी, बेंगलुरु, मैंगलोर, तुमकुर, हुबली, धारवाड़ और शिवमोग्गा जैसे सात जिलों में साइबर ठगों ने एक फर्जी मोबाइल ऐप बनाया, जिसका नाम था—‘ट्रंप ऐप’। यह ऐप सोशल मीडिया पर आकर्षक विज्ञापनों के जरिए प्रचारित किया गया। इन विज्ञापनों में एक फोन नंबर दिया गया, जिस पर कॉल करने वालों को कम समय में पैसा दोगुना करने का लुभावना वादा किया गया। “निवेश करें और रातोंरात अमीर बनें!”—ऐसे झूठे दावों ने बिजनेसमैन, वकीलों, छात्रों और सरकारी कर्मचारियों तक को अपनी चपेट में ले लिया।
कैसे जीता भोले-भाले लोगों का विश्वास?
साइबर ठगों की चाल इतनी चतुर थी कि उन्होंने पहले छोटे-छोटे निवेशों पर लोगों को दोगुना रिटर्न देकर उनका भरोसा जीता। जैसे ही लोग मोटी रकम निवेश करने के लिए लालच में आए, ठगों ने अपना असली रंग दिखाया। निवेश करते ही ऐप से पैसा गायब, और ठग फुर्र! हावेरी जिले में ही 15 से ज्यादा लोग इस ठगी का शिकार हुए, जबकि अन्य जिलों में भी सैकड़ों लोग इस जाल में फंसे।
सोशल मीडिया बना हथियार
सोशल मीडिया की ताकत को इन ठगों ने बखूबी समझा। फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ‘ट्रंप ऐप’ के विज्ञापन इस तरह बनाए गए कि वे भरोसेमंद लगें। आकर्षक ग्राफिक्स, डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरें और “अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ निवेश का सुनहरा मौका” जैसे नारे लोगों को लुभाने के लिए काफी थे। एक कॉल पर शुरू होने वाली बातचीत धीरे-धीरे लालच की ऐसी सैर कराती थी कि लोग अपनी जमा-पूंजी तक दांव पर लगाने को तैयार हो गए।
पुलिस के पास अब तक कोई शिकायत नहीं
हैरानी की बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर हुई इस ठगी की अभी तक पुलिस में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई है। शायद लोग शर्मिंदगी या डर की वजह से सामने नहीं आ रहे, या फिर उन्हें अभी भी लगता है कि उनका पैसा वापस मिल सकता है। लेकिन सच्चाई यह है कि साइबर ठगों ने इस बार डोनाल्ड ट्रंप जैसे बड़े नाम का सहारा लेकर न केवल लोगों की मेहनत की कमाई लूटी, बल्कि साइबर क्राइम की दुनिया में एक नया नजीर भी कायम कर दिया।
सावधानी ही बचाव
यह मामला हमें एक बार फिर याद दिलाता है कि डिजिटल दुनिया में चमक-दमक के पीछे छिपे खतरे कितने बड़े हो सकते हैं। कोई भी ऐप या विज्ञापन कितना ही आकर्षक क्यों न हो, उसकी सत्यता जांचना बेहद जरूरी है। डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर ठगी का यह मामला सिर्फ कर्नाटक तक सीमित नहीं है; यह एक चेतावनी है कि साइबर ठग अब किसी भी हद तक जा सकते हैं।
तो अगली बार जब कोई आपको रातोंरात अमीर बनाने का वादा करे, चाहे वह डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर ही क्यों न हो, जरा ठहरिए, सोचिए और सावधान रहिए। क्योंकि लालच का कोई इलाज नहीं, सिवाय सतर्कता के!