वाराणसी, 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार। वाराणसी के सिगरा में रहने वाली एक महिला चिकित्सक की मेहनत की कमाई को साइबर ठगों ने चंद हफ्तों में हड़प लिया। शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर मोटा मुनाफा दिलाने का लालच देकर ठगों ने चिकित्सक से 1.88 करोड़ रुपये ठग लिए। इस सनसनीखेज मामले में साइबर थाने में मुकदमा दर्ज हो चुका है, और डीसीपी क्राइम प्रमोद कुमार के नेतृत्व में तीन टीमें जालसाजों की तलाश में जुट गई हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर कैसे एक पढ़ी-लिखी चिकित्सक इस ठगी के जाल में फंस गईं?
इंस्टाग्राम से शुरू हुआ ठगी का खेल
यह कहानी 2 मार्च 2025 को शुरू हुई, जब चिकित्सक की नजर इंस्टाग्राम पर ‘आस्क इनवेस्टमेंट’ के एक चमकदार विज्ञापन पर पड़ी। विज्ञापन का लिंक उन्हें ‘आस्क हेल्प डेस्क’ नामक व्हाट्सएप ग्रुप तक ले गया। इस ग्रुप में शेयर ट्रेडिंग के लुभावने वीडियो और व्याख्यान शेयर किए जाते थे। ग्रुप की कोऑर्डिनेटर, जो खुद को प्रिया शर्मा बताती थी, ने चिकित्सक को ‘एएसके’ नामक ऐप डाउनलोड करने का सुझाव दिया। दावा था कि यह ऐप शेयर ट्रेडिंग का आसान और मुनाफेदार रास्ता है।
ऐप पर निवेश की राशि का लाभांश दिखता था, और शुरुआत में चिकित्सक ने छोटा-मोटा प्रॉफिट भी निकाला। इसने उनका भरोसा जीत लिया। प्रिया शर्मा के बताए खातों में उन्होंने 25 मार्च से 17 अप्रैल के बीच 1 करोड़ 88 लाख 32 हजार रुपये जमा कर दिए। लेकिन जब पैसे निकालने की बारी आई, तो ठगों का असली चेहरा सामने आया। रुपये निकालने की हर कोशिश नाकाम रही, और चिकित्सक को एहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार हो चुकी हैं।
लालच और भरोसे का जाल
चिकित्सक ने साइबर पुलिस को बताया कि व्हाट्सएप ग्रुप में मौजूद सदस्य लगातार अपने कथित मुनाफे के स्क्रीनशॉट शेयर करते थे। दो से तीन गुना मुनाफे की बातें और चमकदार स्क्रीनशॉट देखकर उनका भरोसा बढ़ता गया। पहली बार निवेश पर दोगुना मुनाफा दिखा, और कुछ पैसे निकालने की सुविधा ने उन्हें और उलझा दिया। ऐप पर प्रॉफिट तीन से चार गुना दिखता था, जिसके लालच में उन्होंने अपनी जिंदगी की कमाई दांव पर लगा दी।
जालसाजों ने चिकित्सक को बार-बार और निवेश करने के लिए उकसाया। जब भी वे अपने पैसे वापस मांगतीं, उन्हें बताया जाता कि ‘आईपीओ में और निवेश’ से ही रकम वापस मिलेगी। इस तरह, वे ठगों के जाल में और गहरे फंसती चली गईं। चिकित्सक ने पुलिस से गुहार लगाई, “मेरे पैसे दिलवा दें, मैं दिवालिया हो चुकी हूं।”
फर्जी खातों में गायब हुई रकम
पुलिस जांच में सामने आया कि ठगों ने चिकित्सक से मुंबई, गुजरात और दिल्ली के फर्जी बैंक खातों में पैसे मंगवाए। इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र के ‘एमएसीई ट्रेडिंग’ खाते में 15.50 लाख, ‘टेक्समेक्स’ में 3.60 लाख, ‘नालको ट्रेडिंग’ में 10 लाख, बंधन बैंक के ‘मां मोबाइल ऐंड एक्सेसरीज’ में 50 हजार, ‘एसके इंटरप्राइजेज’ में 56.72 लाख, कोटक महिंद्रा के ‘मेट्रो ट्रेडिंग’ में 30 लाख और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के ‘लाइफ हेल्थ केयर’ में 72 लाख रुपये भेजे गए।
सभी खाते फर्जी नाम और पते पर खोले गए थे, और ये करंट अकाउंट थे। पुलिस को शक है कि इन खातों से रकम 1200 से ज्यादा अन्य खातों में ट्रांसफर की गई। हैरानी की बात यह है कि ठगी की रकम का एक हिस्सा संभवतः आईपीएल के दौरान चल रहे बेटिंग और गेमिंग ऐप्स के ‘विजेताओं’ को इनामी राशि के रूप में भेजा गया। पुलिस इस एंगल की गहराई से जांच कर रही है।
सावधानी ही बचाव
यह मामला साइबर ठगी का एक और खतरनाक उदाहरण है, जहां सोशल मीडिया के चमकदार विज्ञापनों और लुभावने वादों के जरिए लोगों को ठगा जा रहा है। चिकित्सक की कहानी हमें सिखाती है कि अनजान ऐप्स और ग्रुप्स पर भरोसा करने से पहले गहन जांच जरूरी है। साइबर पुलिस जालसाजों को पकड़ने के लिए दिन-रात जुटी है, लेकिन तब तक सावधानी ही हमारा सबसे बड़ा हथियार है।
क्या आप भी ऐसे लुभावने ऑफर्स से सावधान रहते हैं, या कहीं आप भी अनजाने में ठगों के जाल में फंसने की कगार पर हैं? जागरूक रहें, सुरक्षित रहें!