वाराणसी, 22 मई 2025, गुरुवार। वाराणसी में साइबर ठगों का एक ऐसा गिरोह पकड़ा गया, जिसने चमकदार सपनों और दोगुने-तिगुने मुनाफे का लालच देकर करीब 1000 लोगों को अपने जाल में फंसाया। इस गिरोह ने BSG नाम की फर्जी क्रिप्टोकरेंसी बनाकर, सेमिनारों और झूठे वादों के जरिए लोगों से करोड़ों रुपये ठग लिए। लेकिन अब वाराणसी पुलिस ने इस गैंग के तीन शातिर अपराधियों को धर दबोचा है, जिनमें कंपनी का कथित डायरेक्टर राजकुमार मौर्या, अर्जुन शर्मा और सुपरवाइजर दानिश खान शामिल हैं।
ठगी का जाल: लालच, धोखा और फर्जीवाड़ा
2022 में वाराणसी के सितारा होटल में BSG कंपनी की धूमधाम से लॉन्चिंग हुई। भव्य आयोजन, बड़े-बड़े वादे और मुनाफे की चकाचौंध ने लोगों को आकर्षित किया। कंपनी ने दावा किया कि 600 दिनों में निवेशकों का पैसा तिगुना हो जाएगा। शुरुआत में कुछ निवेशकों को बोनस और उपहार देकर भरोसा जीता गया। वाराणसी, रामनगर, चंदौली, प्रयागराज, उन्नाव जैसे इलाकों में सेमिनार आयोजित किए गए, जहां लोगों को डिजिटल करेंसी में निवेश का सुनहरा सपना दिखाया गया।
गिरोह ने busdglobal.com और mbsgworld.com जैसी फर्जी वेबसाइट्स बनाईं और BSG नाम का एक काल्पनिक टोकन लॉन्च किया। इसे बेन्डेक्स एक्सचेंज पर लिस्ट कराकर मल्टी-लेवल मार्केटिंग (MLM) का खेल शुरू किया। निवेशकों को भारी मुनाफे का लालच देकर फंसाया गया। लेकिन जैसे ही करोड़ों रुपये जमा हुए, कंपनी ने अपनी क्रिप्टोकरेंसी को एक्सचेंज से डी-लिस्ट कर दिया, ऐप बंद कर दिया, दफ्तरों पर ताला जड़ दिया और सारे फोन स्विच ऑफ कर फरार हो गए।
पुलिस की कार्रवाई: तीन गिरफ्तार, आठ पर FIR
पीड़ितों ने महीनों तक ठगों की तलाश की और आखिरकार साइबर क्राइम थाने का दरवाजा खटखटाया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और कई दिनों की मेहनत के बाद राजकुमार मौर्या, अर्जुन शर्मा और दानिश खान को गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से मोबाइल, लैपटॉप और नकदी बरामद हुई। जांच में पता चला कि आरोपियों के खातों में करीब 16 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ।
पुलिस ने कंपनी के कथित MD, CEO, सुपरवाइजर नवनीत सिंह समेत आठ लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। पूछताछ में ठगों ने अपना गुनाह कबूल किया और बताया कि कैसे उन्होंने सुनियोजित तरीके से लोगों को झांसे में लिया।
पीड़ितों का दर्द: सपनों का टूटना
यह ठगी सिर्फ पैसे की चपत नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों के सपनों का टूटना है। कई लोगों ने अपनी जमा-पूंजी, मेहनत की कमाई और भविष्य की उम्मीदें इस फर्जी कंपनी में लगा दीं। जब कंपनी गायब हुई, तो निवेशकों के पास न पैसा बचा, न जवाब।
सावधान रहें, जागरूक रहें
यह मामला एक बार फिर साइबर ठगी के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करता है। क्रिप्टोकरेंसी जैसी नई तकनीकों का लालच देकर ठग लोगों को आसानी से निशाना बना रहे हैं। पुलिस की इस कार्रवाई ने भले ही कुछ राहत दी हो, लेकिन सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। निवेश से पहले कंपनी की सत्यता जांचें, लुभावने वादों पर भरोसा करने से बचें और साइबर क्राइम के खिलाफ जागरूक रहें।
वाराणसी पुलिस की यह कार्रवाई न सिर्फ पीड़ितों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि साइबर अपराधियों के लिए भी सख्त चेतावनी है कि कानून के लंबे हाथों से बचना आसान नहीं।