सुकमा, 9 जून 2025, सोमवार: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान पूरे जोर-शोर से जारी है। इस अभियान की सफलता ने नक्सलियों को कई जिलों से पूरी तरह उखाड़ फेंका है, लेकिन बौखलाए नक्सलियों ने एक बार फिर अपनी कायरता दिखाई है। सुकमा जिले में हुए एक भीषण IED विस्फोट ने देश को झकझोर दिया, जिसमें कोंटा डिवीजन के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) आकाश राव गिरीपुंजे शहीद हो गए और कई पुलिसकर्मी घायल हुए।
सुबह की गश्त में हुआ विनाशकारी धमाका
सोमवार की सुबह 9 से 10 बजे के बीच सुकमा के डोंड्रा गांव के पास यह दिल दहलाने वाली घटना घटी। नक्सलियों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के आह्वान को देखते हुए ASP आकाश राव गिरीपुंजे अपनी टीम के साथ क्षेत्र में पैदल गश्त कर रहे थे। इसी दौरान नक्सलियों ने सुनियोजित तरीके से IED विस्फोट किया, जिसकी चपेट में आकर ASP गिरीपुंजे गंभीर रूप से घायल हो गए। अन्य घायल जवानों को तत्काल कोंटा अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। हालांकि, गंभीर चोटों के कारण ASP आकाश राव ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
एक वीर सपूत की शहादत
ASP आकाश राव गिरीपुंजे एक साहसी अधिकारी थे, जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए कई वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया था। नक्सलियों की हर साजिश को नाकाम करने के लिए वे अथक प्रयास कर रहे थे। उनकी शहादत ने न केवल छत्तीसगढ़ पुलिस बल, बल्कि पूरे देश को गहरा सदमा पहुंचाया है। घटना के बाद इलाके में सर्च ऑपरेशन को और तेज कर दिया गया है, ताकि इस कायराना हमले के जिम्मेदार नक्सलियों को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके।
डिप्टी सीएम ने जताया शोक
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “ASP आकाश राव गिरीपुंजे ने डोंड्रा के पास IED विस्फोट में घायल होने के बाद अपने प्राणों की आहुति दी। वे एक सच्चे वीर थे, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। यह हम सभी के लिए एक दुखद क्षण है। हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे।”
नक्सलियों की बौखलाहट का नतीजा
यह पहली बार नहीं है जब नक्सलियों ने इस तरह का कायराना हमला किया हो। इससे पहले 6 जनवरी 2025 को बीजापुर में हुए एक बड़े IED हमले में 8 सुरक्षाकर्मियों और एक नागरिक चालक सहित 9 लोग शहीद हुए थे। उस हमले में 60-70 किलोग्राम वजनी IED का इस्तेमाल किया गया था, जो पिछले दो सालों में सुरक्षाबलों पर सबसे बड़ा हमला था। नक्सलियों की ये हरकतें उनकी हताशा और बौखलाहट को साफ दर्शाती हैं, क्योंकि सुरक्षाबलों के अभियान ने उनके पैर उखाड़ दिए हैं।
चुनौती बने IED हमले
नक्सलियों द्वारा लगाए गए IED अब सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं। मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लक्ष्य के बीच, इन हमलों ने अभियान को और जटिल बना दिया है। फिर भी, सुरक्षाबलों का हौसला अटल है। वे नक्सलियों के हर मंसूबे को नाकाम करने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं।