मऊ, 2 अगस्त 2025: जिले के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के ताजपुर उस्मानपुर गांव में रीता देवी (40) और उनके परिजनों के साथ मारपीट और अभद्रता के मामले में 20 पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज न करने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. केपी सिंह ने वर्तमान SHO पंकज पांडेय को शनिवार को कोर्ट में तलब किया है। यह आदेश 27 जुलाई को जारी निर्देशों का पालन न होने के बाद आया है।
मामला रीता देवी और उनके पड़ोसी रामभवन यादव के बीच नाली व खड़ंजे को लेकर हुए विवाद से जुड़ा है। रीता ने उच्चाधिकारियों से शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आरोप है कि 23 मार्च 2025 को तत्कालीन SHO शैलेश सिंह के नेतृत्व में 20 पुलिसकर्मियों ने पड़ोसी की छत के रास्ते रीता के घर में जबरन प्रवेश किया। पुलिस ने घर में तोड़फोड़ की, गालियां दीं, रीता की बेटी के साथ अभद्रता की और पूरे गांव में घसीटते हुए उन्हें थाने ले गए।
आरोपों के मुताबिक, पुलिस ने रीता और उनके परिजनों से जबरन खाली स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर कराने की कोशिश की और विरोध करने पर बेरहमी से पिटाई की। इस मारपीट में रीता को गंभीर चोटें आईं, जिससे उनका गर्भपात हो गया। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। जेल प्रशासन ने उनकी बिगड़ती हालत देखकर पहले जिला अस्पताल, फिर बीएचयू और बाद में पीजीआई में भर्ती कराया।
कोर्ट ने 27 जुलाई को तत्कालीन SHO शैलेश सिंह, पुलिसकर्मी काशी चंदेल, एसआई केसर यादव, विक्की कुमार, कोमल कसोधन, हेड कांस्टेबल प्रभाकर सिंह, जयप्रकाश गोंड, अनुराग पाल, उत्तम मिश्रा, मनीष यादव, दुर्ग विजय यादव समेत 20 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और जांच का आदेश दिया था।
वर्तमान SHO पंकज पांडेय ने कहा, “कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।” SP इलामारन जी ने भी कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन कराने का आश्वासन दिया है।
यह मामला पुलिस की मनमानी और सत्ता के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण पेश करता है, जिस पर कोर्ट की पैनी नजर अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।