17.1 C
Delhi
Thursday, November 21, 2024

अष्ट भैरव की कचहरी: जहां होता है पाप-पुण्य का लेखा-जोखा!

✍️ विकास यादव
वाराणसी, 21 नवंबर 2023, गुरुवार। काशीपुराधिपति की नगरी में भगवान भैरव की विशेष पूजा की जाती है, जो सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। भैरव जयंती का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है, जो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर लोग भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस तिथि पर पूजा-पाठ और व्रत करने से जीवन की सभी बाधाओं का अंत होता है और घर में खुशहाली आती है।
इस साल भैरव जयंती 23 नवंबर, 2024 को मनाई जाएगी। वाराणसी में इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाएंगे, जिसमें श्रद्धालु भाग लेंगे। वाराणसी में भैरव की विशेष पूजा की जाती है, जो शहर की सुरक्षा और समृद्धि के लिए की जाती है। भैरव की महिमा को लेकर कई कथाएं और मान्यताएं हैं, जो उनकी शक्ति और महत्व को दर्शाती हैं।
काशी के रक्षक बाबा लाट भैरव:
अविनाशी काशी में हर देवस्थान का अपना विशेष महत्व है, लेकिन बाबा लाट भैरव का महात्म्य सबसे अधिक प्रसिद्ध है। उनका दिव्य मंदिर काशी के इतिहास और पौराणिक कथाओं से भरा पड़ा है। बाबा लाट भैरव को काशी के रक्षक माना जाता है, जो शहर की सुरक्षा और समृद्धि के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है।
महाभैरवाष्टमी के दिन बाबा लाट भैरव की विशेष पूजा की जाती है, जो उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन उनका दर्शन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है। बाबा लाट भैरव की कथा बहुत ही रोचक है, जिसमें उनकी शक्ति और महत्व का वर्णन किया गया है। उनकी कथा सुनने से व्यक्ति को जीवन के सही मार्ग की प्रेरणा मिलती है।
बाबा लाट भैरव: नाम का इतिहास
काशी के प्रसिद्ध देवता बाबा लाट भैरव के नाम के पीछे एक रोचक इतिहास है। बहुत से लोगों को लगता है कि कपाल भैरव और लाट भैरव दो अलग-अलग देवता हैं, लेकिन वास्तव में कपाल भैरव बाबा श्री लाट भैरव का ही पौराणिक नाम है। लाट भैरव शब्द अंग्रेजी शासन के दौरान अंग्रेजों द्वारा दिया गया था। उस समय अंग्रेज अधिकारियों ने बाबा के मंदिर के पास एक लाट (स्तंभ) लगाया था, जिससे बाबा का नाम लाट भैरव पड़ गया। आजकल काशी में बाबा लाट भैरव का नाम अधिक विख्यात है, और लोग उन्हें इसी नाम से जानते हैं। लेकिन पौराणिक रूप से बाबा का नाम कपाल भैरव है, जो उनकी शक्ति और महत्व को दर्शाता है।
कपाल मोचन कुंड: भैरवनाथ की मुक्ति का स्थल
काशी में गंगा और वरुणा नदी के संगम स्थल पर स्थित कपाल मोचन कुंड एक पावन तीर्थ है, जिसका महत्व शास्त्रों में वर्णित है। यहाँ भैरवनाथ को ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिली थी। तीनों लोकों में भटकने के बाद काशी में प्रवेश करते ही ब्रम्हा का कटा हुआ पांचवा मुंड भैरवनाथ के हाथों से छूटकर धरती में प्रविष्ट कर गया। तब से इस स्थल को कपाल मोचन कुंड के नाम से जाना जाता है। कुंड के जल में स्नान करने से ब्रह्म दोष, चर्म रोग व बांझपन आदि से मुक्ति मिलती है। यहाँ स्थित अति प्राचीन भैरवी कूप भी बहुत पूजित है, जो 450 वर्ष पुरानी रामलीला की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। भैरव मंदिर के समीप स्थित कपाल मोचन कुंड एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ श्रद्धालु पूजा और स्नान करने आते हैं। यह स्थल काशी की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बाबा लाट भैरव: लिंग रूप में प्रथम भैरव
काशी के प्रसिद्ध देवता बाबा लाट भैरव का दर्शन विशाल लिंगाकार स्वरूप में होता है, जो उन्हें अन्य भैरवों से अलग बनाता है। जबकि अन्य भैरव मूर्त रूप या पिंड रूप में दर्शनीय होते हैं, बाबा लाट भैरव लिंग रूप में प्रथम भैरव हैं। बाबा लाट भैरव को कपालेश्वर महादेव के रूप में भी पूजा जाता है, जो उनकी शक्ति और महत्व को दर्शाता है। श्रावण मास में भक्तों द्वारा उनका जलाभिषेक किया जाता है, जो उनकी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बाबा कपाल भैरव का प्रिय वाहन स्वान उनके विग्रह के समीप स्थित है, जो उनकी शक्ति और सौंदर्य को दर्शाता है। जबकि अन्य भैरव अपने प्रिय वाहन पर विराजमान मिलते हैं, बाबा लाट भैरव का स्वान उनके साथ एक विशेष स्थान रखता है। कहा जाता है कि बाबा लाट भैरव का संसार में कोई उपमंदिर नहीं है, जो उनकी अद्वितीयता और महत्व को दर्शाता है। यह बात उनकी पूजा और दर्शन को और भी विशेष बनाती है।
काशी के न्यायाधीश: कपाल भैरव
काशी के प्रसिद्ध देवता कपाल भैरव को काशी के न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है। श्री आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा रचित भैरवाष्टकं के श्लोकानुसार, कपाल भैरव काशी में वास करने वाले लोगों के पाप और पुण्य कर्मों का शोधन करने वाले देवता हैं। कपाल भैरव मंदिर के गर्भगृह में अष्ट भैरव के चौकियों का निर्माण किया गया है, जो काशी के आठों दिशाओं के रक्षक हैं। इन आठ चौकियों पर काशी के आठों दिशाओं के रक्षक अष्ट प्रधान भैरव बाबा के समक्ष अपने क्षेत्रों की समस्त शुभाशुभ कर्मों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। कपाल भैरव न्यायाधीश की भूमिका में काशीवासियों के सद्कर्मो के पुण्य फल तथा पापकर्मों के निमित्त दंड का विधान तय करते हैं। उनकी शक्ति और न्याय की प्रतिष्ठा काशी में वास करने वाले लोगों के लिए एक प्रेरणा है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »