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Wednesday, July 30, 2025

उत्तर प्रदेश भाजपा में नई कमान की उलटी गिनती शुरू: 12 साल बाद निर्विरोध अध्यक्ष का चयन तय, दिल्ली में मंथन तेज

लखनऊ, 3 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर सियासी हलचल अपने चरम पर है। देश के 26 राज्यों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों का चयन हो चुका है, लेकिन देश की सियासत की धुरी माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में अभी तक यह कुर्सी खाली है। 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी आलाकमान इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। सूत्रों की मानें, तो दिल्ली में चल रहा गहन मंथन जल्द ही नतीजे पर पहुंचेगा, और यूपी में नया अध्यक्ष निर्विरोध चुना जाएगा।

निर्विरोध चयन की मजबूत रणनीति

भाजपा की आंतरिक चुनाव प्रक्रिया में बगावत की गुंजाइश न के बराबर है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के लिए प्रदेश परिषद के 10 फीसदी सदस्यों का समर्थन अनिवार्य है, और यह समर्थन बिना शीर्ष नेतृत्व की सहमति के मिलना असंभव है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस बार औपचारिक चुनाव प्रक्रिया के तहत निर्विरोध चयन को प्राथमिकता दे रही है। अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन पहले हो जाता है, तो यूपी में सीधे नियुक्ति की घोषणा भी हो सकती है।

कौन बनेगा यूपी का नया सियासी सिपहसालार?

नए अध्यक्ष के लिए दावेदारों की सूची में कई बड़े नाम शामिल हैं। पार्टी में पिछड़ा, दलित और ब्राह्मण वर्ग के नेताओं के बीच जोरदार चर्चा है। प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं:

पिछड़ा वर्ग:

  • धर्मपाल सिंह (पशुपालन मंत्री): केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद चर्चा में सबसे आगे।
  • स्वतंत्र देव सिंह (जलशक्ति मंत्री): पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, आरएसएस और सीएम योगी के करीबी।
  • बीएल वर्मा (केंद्रीय राज्यमंत्री): संगठन में मजबूत पकड़ और शीर्ष नेतृत्व का भरोसा।

दलित वर्ग:

  • रामशंकर कठेरिया (पूर्व केंद्रीय मंत्री)
  • विनोद सोनकर (पूर्व सांसद)
  • विद्यासागर सोनकर (एमएलसी)

ब्राह्मण वर्ग:

  • हरीश द्विवेदी (पूर्व सांसद, बस्ती)
  • डॉ. दिनेश शर्मा (राज्यसभा सांसद)
  • श्रीकांत शर्मा (विधायक, मथुरा)

12 साल बाद औपचारिक चुनाव की संभावना

2013-14 में लक्ष्मीकांत बाजपेयी के बाद यूपी भाजपा में कोई भी अध्यक्ष औपचारिक चुनाव प्रक्रिया से नहीं चुना गया। केशव प्रसाद मौर्य, महेंद्रनाथ पांडेय, स्वतंत्र देव सिंह और भूपेंद्र सिंह चौधरी की नियुक्ति सीधे आलाकमान ने की थी। अब 12 साल बाद पार्टी निर्विरोध चुनाव की राह पर चल सकती है। सूत्रों के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में चुनाव कार्यक्रम घोषित हो सकता है, और 2-4 दिनों में प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

क्या होगा अगला कदम?

यूपी में नए अध्यक्ष के चयन का फैसला दिल्ली में चल रहे मंथन पर टिका है। अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले चुना जाता है, तो यूपी में सीधी नियुक्ति की संभावना बढ़ जाएगी। सियासी गलियारों में चर्चा है कि पार्टी संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल के लिए ऐसा चेहरा चुना जाएगा, जो सामाजिक समीकरणों को साधने के साथ-साथ संगठन को मजबूती दे सके।

उत्तर प्रदेश की इस सियासी जंग में अब सभी की निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं। क्या होगा अगला मोड़—निर्विरोध चुनाव या सीधी ताजपोशी? इसका जवाब जल्द सामने होगा।

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