नई दिल्ली, 3 दिसंबर 2024, मंगलवार। कॉर्नेलिया सोराबजी एक महान वकील थीं जिन्होंने भारतीय महिलाओं के लिए वकालत का रास्ता खोला। उनका जन्म नवंबर, 1866 में नाशिक में हुआ था और उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कानून का अध्ययन किया और 1892 में ब्रिटेन में बैचलर ऑफ़ सिविल लॉ परीक्षा में बैठने वाली पहली महिला बनीं।
उन्होंने 1894 में भारत लौटकर पर्दानाशीन महिलाओं की ओर से सामाजिक और सलाहकार के रूप में कार्य करना शुरू किया। उन्होंने 600 से अधिक महिलाओं और अनाथों को कानूनी लड़ाई लड़ने में मदद की।
कॉर्नेलिया सोराबजी की उपलब्धियों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि उनकी हर कोर्ट के बार में मूर्ति होनी चाहिए। वे मदर ऑफ ऑल वूमेन एडवोकेट्स ऑफ वर्ल्ड हैं और उनकी विरासत आज भी महिलाओं को प्रेरित करती है।
उनकी कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे एक महिला ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया और अपने समुदाय के लिए एक मिसाल कायम की। उनकी विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है कि हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए कैसे संघर्ष कर सकते हैं और अपने समुदाय के लिए एक मिसाल कायम कर सकते हैं।
कॉर्नेलिया सोराबजी की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे एक महिला ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया और अपने समुदाय के लिए एक मिसाल कायम की। उनकी विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है कि हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए कैसे संघर्ष कर सकते हैं और अपने समुदाय के लिए एक मिसाल कायम कर सकते हैं।