N/A
Total Visitor
31.1 C
Delhi
Tuesday, August 5, 2025

बलरामपुर में धर्मांतरण का जाल: सादुल्लानगर से जुड़े तार, छांगुर बाबा मोहरा, पुलिस-अपराधी गठजोड़ बेनकाब

बलरामपुर, 05 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में धर्मांतरण का गहरा खेल सामने आया है, जिसमें सादुल्लानगर क्षेत्र मुख्य केंद्र के रूप में उभरा है। जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि छांगुर उर्फ जमालुद्दीन, नीतू उर्फ नसरीन और नवीन जैसे किरदार तो केवल मोहरे हैं, जबकि असली साजिशकर्ता के तार दुबई, कतर, सऊदी अरब और पाकिस्तान तक फैले हैं। यह मास्टरमाइंड भारत के साथ-साथ नेपाल में भी धर्मांतरण की मुहिम को अंजाम दे चुका है।

शासन को भेजी गई हालिया रिपोर्ट में सादुल्लानगर को धर्मांतरण के लिए अति संवेदनशील बताया गया है। पिछले दस वर्षों से यह क्षेत्र इस गंभीर समस्या का गढ़ बना हुआ है। 12 जून 2023 से 28 जून 2024 तक बलरामपुर के जिलाधिकारी रहे अरविंद सिंह ने पुलिस और धर्मांतरण गिरोह के गठजोड़ को उजागर करते हुए कठोर कार्रवाई की सिफारिश की थी। हालांकि, उनकी रिपोर्ट दाखिल होने के बाद उनका तबादला कर दिया गया और जांच फाइलों में दब गई। इस दौरान तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को भी हटाया गया, जो अब अयोध्या मंडल के एक संवेदनशील जिले में तैनात हैं।

पुलिस-अपराधी साठगांठ का खुलासा

सादुल्लानगर में पुलिस और अपराधियों के बीच गहरे गठजोड़ के सबूत सामने आए हैं। वर्ष 2024 में तत्कालीन थाना प्रभारी पर गंभीर आरोप लगे। 18 जून 2024 को अपर मुख्य सचिव (गृह) और अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री) को लिखे पत्र (पत्रांक संख्या 2825/जेए/24) में खुलासा हुआ कि थाना प्रभारी ने पूर्व सपा विधायक और गैंगस्टर आरिफ अनवर हाशमी को संरक्षण दिया। मजिस्ट्रेटी जांच में भी थानाध्यक्ष की मिलीभगत उजागर हुई, लेकिन न तो उनकी बर्खास्तगी हुई और न ही कोई कार्रवाई। वर्तमान में वे दूसरे थाने में तैनात हैं।

थाने की जमीन पर मजार का खेल

जांच में सामने आया कि आरिफ अनवर हाशमी ने सादुल्लानगर थाने की जमीन पर कब्जा कर लिया था। उसने ‘शरीफ शहीदे मिल्लत अब्दुल कद्दूस शाह रहमतउल्लाह अलैह’ नामक समिति बनाकर अपने भाई मारूफ अनवर हाशमी को मुतवल्ली नियुक्त किया और थाने की जमीन पर मजार बना दी। इतना ही नहीं, थाने के नाम की जमीन को हटवाकर समिति के नाम दर्ज करा दिया गया। तत्कालीन एसपी ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखी, लेकिन डीएम अरविंद सिंह की जांच में यह पूरा खेल बेनकाब हो गया।

जांच में चौंकाने वाला खुलासा

मजिस्ट्रेटी जांच के अनुसार, 1 अप्रैल 2024 को पुलिस ने आरिफ और मारूफ अनवर हाशमी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी थी। उस समय आरिफ घर पर मौजूद था, लेकिन तत्कालीन थानाध्यक्ष ने अपनी रिपोर्ट में उसे अनुपस्थित बताया। यह पुलिस की मिलीभगत का स्पष्ट प्रमाण था।

नेपाल सीमा से सटे जिलों पर नजर

जांच एजेंसियों का मानना है कि इस पूरे मामले को समझने के लिए नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश के सात जिलों की स्थिति का गहन अध्ययन जरूरी है। बलरामपुर जिला सुरक्षा के लिहाज से अभी भी अति संवेदनशील बना हुआ है। जांच एजेंसियां इस मामले में गहराई से पड़ताल कर रही हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर कार्रवाई की सुस्ती सवाल खड़े कर रही है।

इस पूरे प्रकरण ने प्रशासनिक और पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। शासन और जांच एजेंसियों से अब इस मामले में ठोस कार्रवाई की मांग तेज हो रही है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »