पूर्वी लद्दाख के न्योमा स्थित मुड में देश के सबसे ऊंचे हवाईअड्डे का निर्माण लगभग पूरा कर लिया गया है। समुद्र तल से 13,700 फीट की ऊंचाई पर बना यह हवाईअड्डा चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से केवल 35 किलोमीटर दूर स्थित है। इसे क्षेत्र में भारत की सैन्य रसद और संचालन क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
इस हवाईअड्डे के तीन किलोमीटर लंबे रनवे का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है, जो आपातकालीन लैंडिंग के लिए उपयुक्त है। परियोजना कमांडर ने कहा, किसी भी आपात स्थिति में लैंडिंग के लिए हमें उद्घाटन का इंतजार नहीं करना होगा, जिससे इस हवाईअड्डे की तत्काल संचालन क्षमता की पुष्टि होती है।
कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों में (जहां सर्दियों में तापमान -35 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है) इस परियोजना का कार्य हिमांक के 755 सीमा सड़क कार्य बल (बीआरटीएफ) की निगरानी में कर्नल पोनोंग डोमिंग के नेतृत्व में हो रहा है। अरुणाचल प्रदेश की कर्नल डोमिंग इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। उनकी रणनीतिक दक्षता एवं समर्पण के लिए उन्हें सराहा जा रहा है।
लगभग 218 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना को केसीसी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। इस निर्माण में गर्मियों में करीब 450 और सर्दियों में लगभग 250 श्रमिक काम कर रहे हैं, जिन्होंने कठोर पर्यावरणीय और रसद चुनौतियों का सामना करते हुए परियोजना को पूरा करने के करीब पहुंचाया है। परियोजना हिमांक के 80 आरसीसी के कार्यकारी अभियंता मनोज कुमार तकनीकी पहलुओं की देखरेख कर रहे हैं, ताकि यह उन्नत लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) उच्चतम टिकाऊपन और प्रदर्शन मानकों पर खरा उतर सके।
पूरी तरह से संचालन में आने के बाद यह हवाई अड्डा विभिन्न प्रकार के रक्षा विमानों को समर्थन देगा और दूरस्थ सीमा क्षेत्रों में भारी उपकरण और आपूर्ति के परिवहन को सुगम बनाएगा। इससे लेह के कुशोक बकुला रिम्पोचे (केबीआर) हवाई अड्डे पर निर्भरता कम होगी। यह हवाई अड्डा सैन्य और नागरिक संचालन का मुख्य केंद्र है और मुड से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।