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Friday, June 27, 2025

भारत की पहली बुलेट ट्रेन का निर्माण जोरों-शोरों से: मुंबई-अहमदाबाद के बीच यात्रा का समय होगा कम

उद्धव ठाकरे की अनुमति में देरी से बुलेट ट्रेन परियोजना में ढाई साल की देरी: अश्विनी वैष्णव
नई दिल्ली, 1 मार्च 2025, शनिवार। भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना का निर्माण जोरों-शोरों से चल रहा है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए गुजरात में 100-100 मीटर लंबे स्टील स्पैन सफलतापूर्वक उतार दिए हैं। यह परियोजना मुंबई और अहमदाबाद के बीच एक हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर का निर्माण करने के लिए जापान की मदद से बन रही है। इस परियोजना से दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा और क्षेत्रीय संपर्क और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इस परियोजना के तहत 200 मीटर लंबा ‘मेक इन इंडिया’ स्टील ब्रिज बनाया जा रहा है, जो एक बड़ी उपलब्धि होगी। यह परियोजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो देश के बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगी। बुलेट ट्रेन परियोजना 508 ​​किलोमीटर लंबी है, जो मुंबई से अहमदाबाद तक चलेगी। इस परियोजना का 352 किलोमीटर हिस्सा गुजरात, जबकि 156 किलोमीटर भाग महाराष्ट्र में पड़ता है। परियोजना के तहत मुंबई, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद/नडियाद, अहमदाबाद और साबरमती में कुल 12 स्टेशनों की योजना है।
रेल मंत्री ने दी बड़ी जानकारी
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 200 मीटर लंबे स्टील ब्रिज का पहला विस्तार मार्च 2025 में लॉन्च किया जाएगा, जिसे अगस्त 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह ‘मेक इन इंडिया’ स्टील ब्रिज राष्ट्रीय राजमार्ग -48 पर गुजरात में नडियाद के पास स्थापित किया जाएगा, जो दिल्ली, मुंबई और चेन्नई को जोड़ने वाला एक प्रमुख गलियारा है। वहीं, आज केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है, 360 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है और ट्रैक बिछाने का काम चल रहा है।
वैष्णव ने कहा कि उच्च गति पर दबाव प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए स्टेशन का डिज़ाइन अद्वितीय है। इस परियोजना का लक्ष्य मार्ग पर आर्थिक केंद्र बनाना है, मुंबई, सूरत और अहमदाबाद जैसे शहरों में विकास को बढ़ावा देना है, जिससे उन्हें एक ही आर्थिक क्षेत्र के रूप में आपस में जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि लगभग 360 किमी बुलेट ट्रेन का काम पूरा हो चुका है और (उद्धव) ठाकरे द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने के कारण हमें जो ढाई साल का नुकसान हुआ, हम उसकी भी भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं। बुलेट ट्रेन का महाराष्ट्र खंड भी अच्छी प्रगति पर है। समुद्र के अंदर लगभग 2 किलोमीटर लंबी सुरंग बनकर तैयार है।
भारत की पहली बुलेट ट्रेन
ब्रिज में 100-100 मीटर के दो स्पैन हैं और इसे राष्ट्रीय राजमार्ग-48 (दिल्ली, मुंबई और चेन्नई को जोड़ने वाला) पर नाडियाड के पास लॉन्च किया जाएगा।
14.3 मीटर चौड़ा (लगभग 47 फीट) और 14.6 मीटर ऊंचा (48 फीट), यह स्टील ब्रिज लगभग 1500 मीट्रिक टन वजनी है और इसे उत्तर प्रदेश के हापुड़ के पास सालासर वर्कशॉप में तैयार किया गया है।
स्टील के हिस्सों को जोड़ने का काम टोर शियर टाइप हाई स्ट्रेंथ बोल्ट (TTHSB) का इस्तेमाल करके किया गया है, जिसे 100 साल के लिए डिज़ाइन किया गया है।
ब्रिज के हिस्सों को C-5 सिस्टम पेंटिंग से पेंट किया गया है,, जो भारत में पहली बार किया जा रहा है।
स्टील ब्रिज राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और रेलवे लाइनों को पार करने के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं, जबकि 40 से 45 मीटर तक फैले प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट ब्रिज नदी के पुलों सहित अधिकांश खंडों के लिए उपयुक्त हैं।
भारत के पास भारी मालवाहक और सेमी हाई स्‍पीड वाली रेलगाड़ियों के लिए स्टील पुल बनाने की विशेषज्ञता है, जो 100 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती हैं। अब, स्टील गर्डरों के निर्माण में यही विशेषज्ञता एमएएचएसआर कॉरिडोर पर भी लागू की जाएगी, जिसकी स्‍पीड गति 320 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।
एमएएचएसआर परियोजना में कुल 28 स्टील ब्रिज की योजना बनाई गई है. इनमें से 11 स्टील ब्रिज महाराष्ट्र में और 17 गुजरात में हैं।
गुजरात में रेलवे/डीएफसीसी पटरियों, राजमार्गों और भिलोसा उद्योग सहित छह स्टील ब्रिज का सफलतापूर्वक निर्माण किया जा चुका है।
इस स्टील ब्रिज का पहला स्पैन मार्च 2025 में लॉन्च करने और अगस्त 2025 तक पूरा करने की योजना है।

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