N/A
Total Visitor
29.5 C
Delhi
Monday, June 30, 2025

पीएम के मध्यप्रदेश दौरे पर कांग्रेस के तीन सवाल ।

आज मध्यप्रदेश जा रहे प्रधानमंत्री से हमारे सवाल:

  1. भाजपा मध्यप्रदेश के आदिवासी ज़िलों में रेल कनेक्टिविटी सुधारने में क्यों विफल रही है?
  2. क्यों “मोदी के परिवार” में आदिवासियों के लिए कोई स्थान नहीं है?
  3. मोदी सरकार प्रवासी श्रमिकों की उपेक्षा क्यों करती रहती है?

जुमलों का विवरण:

  • 1.10 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी मोदी सरकार दाहोद-इंदौर और छोटा उदयपुर-धार रेलवे लाइन को पूरा करने में विफल रही है। इन रेलवे लाइन्स को यूपीए सरकार ने मंजूरी दी थी। दस साल बाद भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है। बेहतर रेल कनेक्टिविटी मध्य प्रदेश के अपेक्षाकृत अलग-थलग आदिवासी बहुल ज़िलों धार और झाबुआ में समृद्धि लाएगी लेकिन राज्य और केंद्र की भाजपा सरकारों ने इस परियोजना को नज़रअंदाज़ किया है। क्या प्रधानमंत्री इन महत्वपूर्ण रेलवे लाइनों में 10 से भी ज़्यादा वर्ष की देरी के लिए स्पष्टीकरण देंगे? क्या इसका कारण आदिवासी समुदाय के प्रति उनकी सामान्य रूप से दिखने वाली उदासीनता है?
  • 2.मोदी सरकार ने न केवल मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदायों की उपेक्षा की है, बल्कि उनके बीच भय का वातावरण भी पैदा कर दिया है। केंद्रीय बजट में आदिवासियों के लिए आवंटन 2017 में नीति आयोग द्वारा निर्धारित 8.2% लक्ष्य से लगातार कम हो गया है। मध्यप्रदेश में आदिवासी कल्याण के लिए 3 लाख करोड़ रुपए आवंटित करने का उनका चुनावी वादा अधूरा है। झाबुआ में पीएम की रैली के बाद बैतूल में बीजेपी कार्यकर्ता एक आदिवासी युवक को बेरहमी से पीटते दिखे। पिछले साल परेशान कांड वाले वायरल वीडियो में एक भाजपा नेता को सार्वजनिक रूप से एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करते हुए दिखाया गया था। यह स्पष्ट है कि “मोदी के परिवार” में आदिवासी समुदाय के लिए कोई जगह नहीं है। कांग्रेस पार्टी आदिवासी कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। हमने एससी-एसटी उप-योजना को कानूनी दर्जा देने की गारंटी दी है, जिसके लिए केंद्र सरकार को 8.2% बजट लक्ष्य को पूरा करना होगा। क्या प्रधानमंत्री कभी अपनी सरकार की गलतियों को स्वीकार करेंगे और सही मायने में आदिवासियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होंगे?
  • 3.मोदी सरकार ने अक्सर भारत के प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा को नज़रअंदाज़ किया है। उनकी उपेक्षा विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान स्पष्ट रूप से सामने आई जब प्रवासी श्रमिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। वे काफ़ी लंबी दूरी तय करके अपने घर जाने को मजबूर हुए। इस दौरान कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अब, जैसे-जैसे खरगोन में चौथे चरण के मतदान की तारीख़ नज़दीक आ रही है, चिंता यह है कि इस लोकसभा क्षेत्र के लगभग 20,000 प्रवासी कामगार अपना वोट डालने में असमर्थ हो सकते हैं। कांग्रेस का न्याय पत्र प्रवासी श्रमिकों के रोज़गार को रेगुलेट करने और उनके मौलिक कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए कानून पेश करेगा। क्या भाजपा ने प्रवासी श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ किया है? क्या उनके पास प्रवासी श्रमिकों को वोट देने के अधिकार का प्रयोग करने में मदद करने की कोई योजना है?
newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »