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Saturday, April 19, 2025

बिहार की सियासत में कांग्रेस का दमखम: तेजस्वी को दिल्ली बुलाकर दिखाई ताकत

नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। इस बार कांग्रेस ने साफ संदेश दे दिया है कि वह महागठबंधन में अब पीछे नहीं, बल्कि फ्रंटफुट पर खेलेगी। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव को दिल्ली बुलाकर कांग्रेस ने अपनी रणनीति का आगाज कर दिया है। पटना में होने वाली महागठबंधन की अहम बैठक से पहले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मुलाकात ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।

कांग्रेस की नई चाल: लालू के दरबार से दिल्ली की दहलीज तक

पहले के दौर में कांग्रेस नेता लालू प्रसाद यादव के दरबार में जाकर चुनावी मुद्दों को सुलझाते थे, और तब लालू का पलड़ा भारी रहता था। लेकिन अब हवा बदली है। कांग्रेस ने अपनी कार्यशैली में बदलाव करते हुए RJD के साथ अपने शर्तों पर बात करने का मन बना लिया है। तेजस्वी को दिल्ली बुलाकर राहुल गांधी ने न केवल गठबंधन की रणनीति पर चर्चा की, बल्कि यह भी जता दिया कि अब बिहार में कांग्रेस अपनी बात मजबूती से रखेगी।

कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह बिहार में 70 से कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी और वो भी जिताऊ सीटें। साथ ही, मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर भी कांग्रेस ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी के बड़े नेता, चाहे कृष्णा अलवरु हों या सचिन पायलट, सभी ने एक स्वर में कहा है कि सीएम फेस का फैसला चुनाव के बाद होगा।

तेजस्वी का बयान: सीएम फेस पर सस्पेंस बरकरार

राहुल गांधी के साथ करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने कहा, “सीएम फेस को लेकर मीडिया को चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसका फैसला चुनाव से पहले या बाद में हो जाएगा।” उनके इस बयान ने सियासी हलकों में नई अटकलों को जन्म दे दिया। जहां RJD के नेता बैठक से पहले तेजस्वी को बिना किसी शक-ओ-सुबहे के सीएम फेस बता रहे थे, वहीं दिल्ली की इस मुलाकात के बाद तेजस्वी खुद कुछ असमंजस में नजर आए।

RJD का दावा, BJP-JDU का तंज

दिल्ली में राहुल-तेजस्वी की मुलाकात से पहले RJD ने जोर-शोर से दावा किया था कि बिहार में तेजस्वी यादव ही सीएम फेस हैं और जनता ने उन्हें इस भूमिका के लिए स्वीकार कर लिया है। लेकिन कांग्रेस की नई रणनीति ने RJD के इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

उधर, बीजेपी और जेडीयू ने इस मुलाकात पर तंज कसने में देर नहीं की। बीजेपी ने इसे “कुर्सी की सियासी नौटंकी” करार देते हुए कहा कि सत्ता के लालच में विपक्ष का नेतृत्व और दिशा कभी तय नहीं हो सकती। जेडीयू ने तो और भी तीखा हमला बोला, “अगर कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार करती है, तो यह कांग्रेस की दुर्गति का सबूत है।” साथ ही, जेडीयू ने चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस ने तेजस्वी को “वेटिंग लिस्ट” में डाल दिया है।

बिहार का सियासी रण: क्या बदलेगा समीकरण?

कांग्रेस की इस नई आक्रामक रणनीति ने बिहार की सियासत में नए समीकरण बनाए हैं। जहां एक तरफ महागठबंधन में सीटों और नेतृत्व को लेकर खींचतान चल रही है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन इसे अपने फायदे में भुनाने की कोशिश में है। कांग्रेस का यह दांव कितना कारगर होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि बिहार में अब सियासी जंग और दिलचस्प होने वाली है।

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