नई दिल्ली, 17 जून 2025, मंगलवार। हरियाणा में कांग्रेस ने युवा कांग्रेस की नई प्रदेश और जिला कार्यकारिणी की घोषणा की, लेकिन इस बार उनकी लिस्ट ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया। इस लिस्ट में रोहतक की कार्यकर्ता हिमानी नरवाल को प्रदेश सचिव के रूप में शामिल किया गया, जबकि उनकी हत्या तीन महीने पहले, 1 मार्च 2025 को हो चुकी थी। इस गलती ने न सिर्फ कांग्रेस की संगठनात्मक लापरवाही को उजागर किया, बल्कि हर तरफ उनकी किरकिरी भी करा दी।
हिमानी की हत्या और कांग्रेस की चूक
हिमानी नरवाल कांग्रेस की एक सक्रिय कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने संगठनात्मक चुनाव के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था। ऑनलाइन वोटिंग के जरिए उन्हें प्रदेश सचिव चुना गया, लेकिन लिस्ट अब जाकर सामने आई। सवाल यह है कि जिस कार्यकर्ता की हत्या पर इतना हंगामा मचा, क्या कांग्रेस हाईकमान को उसकी जानकारी तक नहीं थी? हिमानी हत्याकांड में पुलिस ने आरोपी सचिन उर्फ ढिल्लू को गिरफ्तार कर लिया था और उसके खिलाफ 250 पेज की चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल हो चुकी है। फिर भी, कांग्रेस ने इस भयावह चूक को कैसे अनदेखा कर दिया?
भाजपा का तंज: “शर्मनाक और संवेदनहीन कांग्रेस”
इस गलती ने हरियाणा की सियासत में आग लगा दी। भाजपा ने मौके का फायदा उठाते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर भाजपा ने लिखा, “कांग्रेस का नेतृत्व पूरी तरह संवेदनहीन हो चुका है। पहले स्वर्गवासी रघबीर सैनी को बैठक में बुलाया और अब मृत हिमानी नरवाल को प्रदेश सचिव बनाकर उनका भद्दा मजाक उड़ाया। यह शर्मनाक है!” भाजपा ने इसे कांग्रेस की संगठनात्मक नाकामी और कार्यकर्ताओं के प्रति लापरवाही का सबूत बताया।
कौन थीं हिमानी नरवाल?
हिमानी नरवाल रोहतक की एक समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता थीं, जो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनके साथ वायरल तस्वीरों के कारण सुर्खियों में आई थीं। 1 मार्च 2025 को उनका शव रोहतक के सांपला बस स्टैंड के पास एक सूटकेस में मिला था, जिसमें उनके गले पर चुन्नी लिपटी थी। इस हत्याकांड की जांच के लिए पुलिस ने विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाया था, जिसने झज्जर के खैरपुर गांव के सचिन उर्फ ढिल्लू को गिरफ्तार किया।
हत्याकांड की खौफनाक कहानी
पुलिस जांच में सामने आया कि सचिन और हिमानी की दोस्ती फेसबुक के जरिए हुई थी। सचिन अक्सर हिमानी के घर आता-जाता था। 27 फरवरी को हिमानी ने ही उसे फोन कर घर बुलाया था। दोनों के बीच विवाद हुआ और सचिन रात को उनके घर रुक गया। अगले दिन, 28 फरवरी को, उसने मोबाइल चार्जर की तार से हिमानी की हत्या कर दी। इसके बाद, उसने शव को सूटकेस में डालकर सांपला बस स्टैंड के पास फेंक दिया।
कांग्रेस की लापरवाही पर सवाल
इस घटना ने कांग्रेस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आखिर कैसे एक मृत कार्यकर्ता की नियुक्ति इतने बड़े पद पर हो गई? क्या संगठन के पास अपने कार्यकर्ताओं की सही जानकारी तक नहीं है? यह घटना न सिर्फ कांग्रेस की संवेदनहीनता को दर्शाती है, बल्कि उनकी संगठनात्मक प्रक्रिया की खामियों को भी उजागर करती है। इस लापरवाही ने न केवल हिमानी के परिवार के जख्मों को कुरेदा, बल्कि कांग्रेस की साख को भी गहरा धक्का पहुंचाया है।