“भाजपा-आरएसएस की रगों में मनुस्मृति की धारा, दलितों-आदिवासियों के आंसू पोंछने में नाकाम” – जिग्नेश मेवाणी
गुजरात में दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के एकलव्यों का अंगूठा काटने की साजिश
नई दिल्ली, 7 जून 2025, शनिवार: कांग्रेस ने गुजरात में दलितों, आदिवासियों और कमजोर वर्गों पर बढ़ते अत्याचारों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और गुजरात की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। नई दिल्ली के इंदिरा भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में गुजरात के कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि भाजपा-आरएसएस नेतृत्व बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान को नहीं, बल्कि मनुस्मृति के मूल्यों को मानता है।
मेवाणी ने आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस की विचारधारा के कारण दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “ये लोग संविधान को समंदर में फेंकने और मनुस्मृति लागू करने की बात करते हैं। दिल्ली में संविधान की प्रतियां जलाई गईं, रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया, हाथरस की बेटी के परिवार को अंतिम दर्शन तक नहीं करने दिया गया, और ऊना में दलित युवकों को बेरहमी से पीटा गया।” उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के “अंबेडकर-अंबेडकर करना फैशन बन गया” बयान की भी आलोचना की।
गुजरात में अत्याचार की घटनाएं: मेवाणी ने गुजरात में दलितों पर अत्याचार की कई घटनाओं का जिक्र किया। अमरेली में 19 वर्षीय दलित युवक की हत्या, पाटन में दलित बुजुर्ग को जिंदा जलाने, सुरेंद्रनगर में दलित लड़कों पर एके-47 से गोलीबारी, और संतरामपुर में दलित लड़की के साथ 11 दिन तक गैंगरेप की घटना का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि संतरामपुर मामले में भाजपा नेताओं के शामिल होने के बावजूद पहली एफआईआर फाड़ दी गई और दोषियों को मात्र 3,000 रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया।
दोषियों को सजा में कमी: मेवाणी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर दलितों पर अत्याचार के मामलों में सजा की दर 30-35% है, लेकिन गुजरात में यह केवल 3-5% है, यानी 95% अपराधी बच निकलते हैं। उन्होंने गुजरात सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए और राजकोट के गोंडल में दलित युवक के अपहरण के बाद मुख्यमंत्री द्वारा पीड़ित से न मिलकर आरोपी के कार्यक्रम में शामिल होने की निंदा की।
प्रधानमंत्री के बयान पर सवाल: मेवाणी ने प्रधानमंत्री मोदी के ऊना कांड पर दिए बयान “मुझे मारो, मेरे दलित भाइयों को मत मारो” को याद करते हुए पूछा कि आठ साल बाद भी दलितों-आदिवासियों पर अत्याचार क्यों नहीं रुक रहे।
जातिवादी भेदभाव का आरोप: गुजरात पब्लिक सर्विस कमीशन को “जातिवाद का अड्डा” बताते हुए मेवाणी ने कहा कि दलित, ओबीसी और आदिवासी छात्रों को साक्षात्कार में जानबूझकर कम अंक दिए जाते हैं। उन्होंने इसे “वंचित वर्ग के एकलव्यों का अंगूठा काटने की साजिश” करार दिया।
कांग्रेस का प्रदर्शन: मेवाणी ने ऐलान किया कि गुजरात में दलितों, आदिवासियों और कमजोर वर्गों पर अत्याचार के खिलाफ कांग्रेस अगस्त-सितंबर में बड़ा प्रदर्शन करेगी।