मानसून के बीच सरकार के इन्फ्लूएंजा ट्रैकर ने एक बार फिर एच3एन2 संक्रमण का अलर्ट दिया है। यह मौसमी इन्फ्लूएंजा एच1एन1 का एक उपप्रकार है जो अभी देश के ज्यादातर हिस्सों में फैला है। इसके चलते मानसून में अक्सर होने वाली सर्दी-खांसी अब सामान्य नहीं रही। संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने की नौबत आ रही है। साथ ही परिवार के सदस्यों को यह तेजी से चपेट में ले रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक चार सप्ताह से देश के ज्यादातर हिस्सों में एच3एन2 वायरस तेजी से बढ़ रहा है। बीते सप्ताह करीब 42 % नमूनों में इसकी पुष्टि हुई है।
आईसीएमआर का मानना है कि गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण के साथ अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी रोगियों में से करीब 50 फीसदी में एच3एन2 पाया गया। यह मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन संक्रमण है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा का दो बार पीक देखा गया है। पहला जनवरी से मार्च और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में आता है। इस साल यह अगस्त में ही दिखाई देने लगा है। इसका सबसे ज्यादा जोखिम पांच वर्ष तक के बच्चे और 60 वर्ष या उससे अधिक की बुजुर्ग आबादी हो सकती है।