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Saturday, August 9, 2025

कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह: भारत की नारी शक्ति

नई दिल्ली, 7 मई 2025, बुधवार। भारत सरकार का साफ संदेश है: “पाकिस्तान, हमारे मुल्क में तुमसे ज्यादा मुसलमान हैं, और उनकी वतनपरस्ती पर हमें गर्व है।” इस गर्व को साकार करती हैं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देकर देश का मान बढ़ाया। आइए, जानते हैं इन दो नारी शक्तियों की प्रेरक कहानी।

कर्नल सोफिया कुरैशी: साहस और नेतृत्व की मिसाल

गुजरात के सैन्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी की रगों में देशभक्ति दौड़ती है। उनके पति और दादा भी सेना में रह चुके हैं। सेना की सिग्नल कोर से जुड़ी सोफिया भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने किसी बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय दल का नेतृत्व किया। साल 2016 में पुणे में आयोजित ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में उन्होंने 40 सदस्यीय भारतीय दल का कुशल नेतृत्व किया। यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था, जिसमें 18 देश शामिल थे। खास बात? सभी 18 देशों के दलों में सोफिया इकलौती महिला कमांडर थीं। सोफिया का साहस यहीं नहीं रुका। 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के दौरान उन्होंने संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में शांति स्थापना और मानवीय सहायता में अहम योगदान दिया। उनकी कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है।

विंग कमांडर व्योमिका सिंह: आकाश की बेटी

‘व्योम’ यानी आकाश, और व्योमिका ने अपने नाम को सही मायनों में चरितार्थ किया। छठी कक्षा से वायुसेना में जाने का सपना देखने वाली व्योमिका आज आसमान की सैर करती हैं। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर जैसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में चेतक और चीता हेलीकॉप्टर उड़ाने में उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। 2500 घंटे की उड़ान का रिकॉर्ड उनके कौशल का सबूत है।

18 दिसंबर 2004 को 21 एसएससी (महिला) फ्लाइंग पायलट कोर्स के तहत कमीशन प्राप्त करने वाली व्योमिका को 2019 में स्थायी कमीशन मिला, जो महिला अधिकारियों के लिए बड़ी उपलब्धि है। नवंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश की आपदा में उन्होंने लोगों को सुरक्षित निकाला। 2021 में 21,650 फीट ऊंची ‘माउंट मणिरंग’ चोटी फतह कर उन्होंने नया कीर्तिमान रचा। तीनों सेनाओं की ऑल-वुमन माउंटेन एक्सपीडिशन में भी वे शामिल रहीं।

नारी शक्ति का प्रतीक

सोफिया और व्योमिका सिर्फ सैन्य अधिकारी नहीं, बल्कि भारत की उस भावना का प्रतीक हैं जो धर्म, जाति या लिंग से परे देशसेवा को सर्वोपरि मानती है। इनकी कहानियाँ हर भारतीय को गर्व और प्रेरणा देती हैं।

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