राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने एक बार फिर आईएएस अधिकारियों के तबादले कर अपनी मंशा साफ कर दी है। सीएम ने 30 से अधिक अधिकारियों के तबादले कर पूरी अधिकारी लॉबी में संदेश दे दिया है कि काम नहीं तो विदाई होगी। अधिकारी लॉबी पेन डाउन कर राजनीतिक संकट खत्म होने के इंतजार में था, जिसका जवाब शुक्रवार सुबह सीएम ने अधिकारियों के विभाग बदलकर दे दिया है। इस तबादला सूची में वैभव गालरिया को चिकित्सा से मुक्त कर प्रमुख शासन सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग में लगाया गया है।
बता दें कि राजस्थान में अधिकारी वर्ग के लिए यह कोई बड़ी घटना नहीं है। वैसे तो सार्वजनिक निर्माण विभाग में जाना उनका प्रमोशन माना जा रहा है। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा है कि सीएम के सबसे करीबी विभाग से वैभव गालरिया की छुट्टी होना कोई आम घटना नहीं है। सीएम गहलोत अपनी चिकित्सा नीति को लेकर काफी संजीदा हैं, गहलोत राजस्थान को चिकित्सा के क्षेत्र में देश में सबसे बेहतर रखना चाहते हैं। यही कारण है कि गहलोत के हर संबोधन में चिरंजीवी योजना का उल्लेख होता है।
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बीते दिन सीएम ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और प्रभारियों के साथ मीटिंग ली थी, जिसमें आईएएस अधिकारी वैभव गालरिया और सीएम गहलोत के बीच सीटी स्कैन मशीन को लेकर विरोधाभास की स्थिति बनी थी, जिसको वरिष्ठ अधिकारी अखिल अरोरा ने संभाला और सीएम को विस्तार से समझाया। लेकिन सीएम किसी भी सूरत में चिकित्सा सेवा में कोई भी कमी बर्दाश्त करने के मूड में दिखे। वहीं, आज कार्मिक विभाग की ओर से जारी संदेश में उनकी मंशा साफ हो गई, जब वैभव गालरिया को चिकित्सा से मुक्त कर टी रविकांत को उनका पद दे दिया गया।
बताते चलें, 30 अधिकारियों की लिस्ट में अभय कुमार को भी एक बड़ी जिम्मेदारी से मुक्त कर पंचायती राज विभाग दिया गया है। आनंद कुमार को गृह की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गहलोत ने पूरी अधिकारी लॉबी को लेकर संदेश साफ कर दिया है कि प्रदेश में राजनीतिक संकट की आड़ में चल रहे अधिकारी अब काम से मुंह नहीं मोड़ पाएंगे, मुख्यमंत्री की नजर सब पर बनी हुई है।
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वहीं, राजस्थान में चल रही सियासी हलचल के बीच गहलोत सरकार ने साल 1989 बैच के आईपीएस उमेश मिश्रा को नया डीजीपी बना दिया है। गुरुवार देर रात 12 बजे के बाद कार्मिक विभाग की ओर से यह आदेश जारी किया गया। गहलोत सरकार के लिए डीजीपी की नियुक्ति बेहद अहम मानी जा रही है। ऐसी चर्चा थी कि जोधपुर से आने वाले आईपीएस और एसीबी के डीजी को डीजीपी बनाया जा सकता है।
बता दें कि राजस्थान सरकार से संघ लोक सेवा आयोग ने डीजीपी के लिए पैनल मांगा था। राजस्थान सरकार ने 10 से अधिक नाम यूपीएससी को भेजे थे, जिसके बाद नए डीजीपी के चयन के लिए दिल्ली में बैठक हुई थी। इस बैठक में मुख्य सचिव और डीजीपी सहित अन्य अधिकारी दिल्ली गए थे। ऐसा बताया जा रहा है कि आयोग ने तीन नाम फाइनल किए थे, जिसमें सीएम अशोक गहलोत ने उमेश मिश्रा के नाम पर सहमति जता दी।
इनका हुआ तबादला…
टी रविकांत को प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा विभाग लगाया गया है
विकास सीताराम भाले को शासन सचिव श्रम एवं कारखाना एवं बायलर लगाया गया है
आशुतोष एटी पेडणेकर को अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड लगाया गया है
भानु प्रकाश अटरू को शासन सचिव गृह विभाग
नीरज के पवन को संभागीय आयुक्त बीकानेर लगाया गया है
पीसी किशन को शासन सचिव कौशल एवं उद्यमिता विभाग
शुचि त्यागी को मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस लगाया गया है
अंतर सिंह नेहरा को संभागीय आयुक्त जयपुर लगाया गया है
करण सिंह को प्रबंध निदेशक राज्य खान एवं खनिज विभाग लिमिटेड़
परमेश्वर लाल को प्रबंध निदेशक राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग
कुमारी प्रज्ञा केवलरमानी आय़ुक्त देवस्थान विभाग
संदेश नायक निदेशक खान एवं भूवैज्ञानिक विभाग लगाया गया है
नथमल डिडेल को प्रबंध निदेशक राज्य पथ परिवहन निगम जयपुर लगाया गया है
आईएएस टीन डाबी के पति प्रदेश के. गवांडे को आयुक्त, उपनिवेशन विभाग बीकानेर लगाया गया है