उत्तरकाशी, 7 अगस्त 2025: उत्तराखंड के धराली क्षेत्र में बादल फटने से आई प्राकृतिक आपदा ने भारी तबाही मचाई है। भूस्खलन और सड़कों के टूटने से क्षेत्र का संपर्क कट गया है, जिसके चलते भारतीय सेना ने मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) अभियान को और तेज कर दिया है। सेना, नागरिक प्रशासन, एनडीआरएफ और आईटीबीपी के साथ मिलकर फंसे हुए लोगों को बचाने और राहत कार्यों में जुटी है।
70 लोग बचाए, 50 से अधिक लापता
सेना ने अब तक 70 नागरिकों को सुरक्षित निकाला है, जबकि 3 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। नागरिक प्रशासन के अनुसार, 50 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। एक जेसीओ सहित 8 सैनिक भी लापता बताए जा रहे हैं। दो शव बरामद किए गए हैं। गंभीर रूप से घायल तीन लोगों को एम्स ऋषिकेश और आठ को उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सड़कें टूटी, हेलीपैड बंद
भूस्खलन के कारण बर्तवारी, लिंचीगाड, हरसिल, गंगरानी और धराली में सड़कें बुरी तरह प्रभावित हैं। धराली का सिविल हेलीपैड बंद है, जबकि हरसिल और नेलोंग में सैन्य हेलीपैड चालू हैं। गंगोत्री से नेलोंग सड़क मार्ग खुला होने से पर्यटकों की निकासी में मदद मिल रही है।
सेना का व्यापक अभियान
225 से अधिक सैनिक, इंजीनियर, चिकित्सा दल और बचाव विशेषज्ञ राहत कार्यों में जुटे हैं। खोजी कुत्तों और रीको रडार टीमें भी तैनात की गई हैं। चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर जॉलीग्रांट से बचाव और निकासी कार्यों में लगे हैं। मातली में आईटीबीपी हेलीपैड पर एक अस्थायी विमानन बेस स्थापित किया जा रहा है। सहस्त्रधारा से पांच सिविल हेलीकॉप्टर एसडीआरएफ के साथ समन्वय में काम कर रहे हैं।
पर्यटकों को सहायता
गंगोत्री में फंसे 180-200 पर्यटकों को सेना और आईटीबीपी भोजन, आश्रय और चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहे हैं। अगले 24-48 घंटों में चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों से और कर्मियों को हरसिल व नेलोंग भेजा जाएगा, साथ ही पर्यटकों की निकासी तेज की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने लिया जायजा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने धराली का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। सेना कमांडर मध्य कमान और जीओसी, यूबी क्षेत्र स्वयं अभियानों की निगरानी कर रहे हैं। मध्य वायु कमान मुख्यालय के साथ समन्वय से हेलीकॉप्टर संचालन को निर्बाध बनाया जा रहा है।
आगे की योजना
सेना और एनडीआरएफ सड़कें खोलने और फंसे लोगों को निकालने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। मौसम अनुकूल रहने पर हवाई अभियान और तेज होंगे। स्थानीय प्रशासन और सेना का यह संयुक्त प्रयास प्रभावित क्षेत्र में उम्मीद की किरण बना हुआ है।