N/A
Total Visitor
39.2 C
Delhi
Sunday, June 1, 2025

बगलिहार बांध के बंद गेट: चेनाब पर भारत का सख्त रुख

नई दिल्ली, 16 मई 2025, शुक्रवार। जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में चेनाब नदी पर स्थित बगलिहार जलविद्युत परियोजना के सभी गेट बंद कर दिए गए हैं। यह कदम क्षेत्र में जल स्तर की सतत निगरानी के बीच उठाया गया है, जो पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय बन गया है। यह दृश्य न केवल तकनीकी, बल्कि सामरिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का ऐलान किया है।

भारी बारिश और बांध का प्रबंधन

8 मई को जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के बाद बगलिहार बांध के गेट खोले गए थे, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया था। हालांकि, स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए अब सभी गेट बंद कर दिए गए हैं। यह निर्णय भारत के जल प्रबंधन और क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति सजग दृष्टिकोण को दर्शाता है।

सिंधु जल संधि: भारत का दृढ़ रुख

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के तहत, रावी, सतलुज और ब्यास नदियों का पानी भारत को विशेष उपयोग के लिए आवंटित किया गया, जबकि सिंधु, झेलम और चेनाब का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान के लिए निर्धारित किया गया। संधि ने भारत को पश्चिमी नदियों पर रन-ऑफ-द-रिवर (RoR) परियोजनाओं के जरिए जलविद्युत उत्पादन का अधिकार भी दिया।

हालांकि, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।” उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई नीति है। पीएम ने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत अब केवल आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को खाली करने के मुद्दे पर होगी।

भारत की जल शक्ति: पूर्वी नदियों का उपयोग

संधि के तहत आवंटित पूर्वी नदियों (रावी, सतलुज, ब्यास) के पानी का उपयोग करने के लिए भारत ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की हैं। सतलुज पर भाखड़ा बांध, ब्यास पर पोंग और पंडोह बांध, और रावी पर थीन (रंजीत सागर) बांध इसका हिस्सा हैं। इसके अलावा, ब्यास-सतलुज लिंक, माधोपुर-ब्यास लिंक और इंदिरा गांधी नहर परियोजना ने भारत को इन नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग करने में सक्षम बनाया है।

पाकिस्तान की बेचैनी और भारत की रणनीति

बगलिहार बांध के गेट बंद होने से चेनाब नदी के जल प्रवाह पर भारत का नियंत्रण और मजबूत हुआ है। पाकिस्तान बार-बार सिंधु जल संधि पर बातचीत की पेशकश कर रहा है, लेकिन भारत ने इस मुद्दे पर किसी भी चर्चा से इनकार कर दिया है। यह कदम न केवल भारत की जल नीति को दर्शाता है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी जीरो-टॉलरेंस नीति को भी रेखांकित करता है।

ऑपरेशन सिंदूर: नया मानदंड

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नए मानदंड के रूप में प्रस्तुत किया। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की एयर स्ट्राइक के बाद यह भारत का तीसरा बड़ा कदम है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है।

राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं

बगलिहार बांध के गेट बंद होना केवल एक तकनीकी निर्णय नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक दृढ़ता का प्रतीक है। यह कदम न केवल जल प्रबंधन में भारत की क्षमता को दर्शाता है, बल्कि सिंधु जल संधि के निलंबन और आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को भी मजबूती प्रदान करता है। जैसे-जैसे क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है, भारत का यह रुख स्पष्ट है: राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »