भारत पाकिस्तान अब नहीं मिलायेंगे हाथ , चेक पोस्ट बंद आवाजाही के लिए नहीं खुलेगा गेट ।
नई दिल्ली, 24 अप्रैल 2025, गुरुवार का दिन अमृतसर के अटारी-वाघा बॉर्डर के इतिहास में एक नए अध्याय के रूप में दर्ज हो गया। हर शाम सूर्यास्त के समय होने वाली विश्व प्रसिद्ध “बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी” इस बार अपने पारंपरिक स्वरूप से अलग थी। 24 अप्रैल की शाम, अटारी बॉर्डर पर माहौल सामान्य से अलग था। हमेशा की तरह हजारों दर्शक इस समारोह को देखने तो पहुंचे थे, लेकिन इस बार ना गेट खुला और ना ही हैंडशेक हुआ। बीएसएफ के जवान अपनी खाकी वर्दी और लाल टोपी में उसी जोश के साथ परेड करते नजर आए, लेकिन गेट के दूसरी ओर पाकिस्तानी रेंजर्स से कोई संपर्क नहीं हुआ। दर्शकों के बीच भी एक अजीब सा सन्नाटा था, जिसमें पहलगाम का दर्द था और जो इस बदलाव के गहरे अर्थ को समझ रहा था।
अपने मूल स्वरूप से अलग इस दिन न तो भारत और पाकिस्तान के बीच के भारी लोहे के गेट खोले गए, न ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ प्रतीकात्मक हैंडशेक किया। बंद गेटों के बीच दोनों देशों के झंडे उतारे गए, और यह दृश्य भारत की तरफ़ से कड़ा और साफ़ संदेश था । आतंकवाद के साथ कोई हैंड शेक नहीं जो पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण भी है आने वाले समय का संकेत भी ।
दरअसल पहलगाम में हाल ही में हुए दुखद हमले के मद्देनजर, पंजाब के अटारी, हुसैनीवाला और सादकी सीमा ओर तैनात अर्धसैनिक बल बीएसएफ ने हर शाम होने वाले बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं
बीएसएफ की तरफ़ से रिट्रीट समारोह के दौरान औपचारिक प्रदर्शन को कम करने का एक सुनियोजित निर्णय लिया गया है।
इन प्रमुख बदलावों में शामिल हैं:
– भारतीय गार्ड कमांडर का समकक्ष गार्ड कमांडर के साथ प्रतीकात्मक हाथ मिलाना स्थगित करना।
– समारोह के दौरान गेट बंद रहेंगे।
यह कदम सीमा पार शत्रुता पर भारत की गंभीर चिंता को दर्शाता है और इस बात की पुष्टि करता है कि शांति और उकसावे एक साथ नहीं रह सकते।
उल्लेखनीय है कि अटारी-वाघा बॉर्डर पर 1959 से हर शाम होने वाली यह सेरेमनी दोनों देशों के सैनिकों के बीच शक्ति प्रदर्शन होता रहा है जिसमें अनुशासन, जोश और देशभक्ति का अनुपम प्रदर्शन होता है । आमतौर पर, इस समारोह में बीएसएफ और पाक रेंजर्स के जवान तेज कदमताल, ऊंचे पैरों की थाप और बड़े ही जोशीले अंदाज में अपने-अपने देश के झंडे उतारते हैं। गेट खुलते हैं, दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आते हैं, और हैंडशेक के साथ समारोह का समापन होता है। गेट खुलने के साथ ही दोनों देशों के कई नागरिक जिनका एक दूसरे के साथ कुछ संबंध होता गई उनका भी मिलना होता है । यही वो बॉर्डर है जहाँ से दोनों देशों के बीच बस और ट्रेन सेवा का परिचालन भी होता रहा है । हालांकि एक अरसे ये परिचालन फिलहाल बंद है । दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन 24 अप्रैल 2025 को यह परंपरा पूरी तरह से बदला हुआ नज़र आया ।
इस ऐतिहासिक बदलाव की पृष्ठभूमि में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। इस हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और गहरा कर दिया। भारत सरकार ने इस घटना के जवाब में कई कड़े कदम उठाए, जिनमें अटारी-वाघा बॉर्डर पर एकीकृत चेकपोस्ट (आईसीपी) को तत्काल प्रभाव से बंद करना और सिंधु जल समझौते को स्थगित करना शामिल है।
इसी तनावपूर्ण माहौल में, बीएसएफ ने पंजाब के अटारी, हुसैनीवाला और सदकी बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी के प्रतीकात्मक प्रदर्शन को सीमित करने का फैसला लिया। बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “पहलगाम में हुए दुखद आतंकी हमले के मद्देनजर, यह निर्णय लिया गया है कि रिट्रीट सेरेमनी के दौरान गेट नहीं खोले जाएंगे और दोनों देशों के कमांडरों के बीच हैंडशेक की परंपरा को स्थगित किया जाएगा।” यह कदम भारत की ओर से एक स्पष्ट संदेश था कि शांति और उकसावे की कार्रवाइयां एक साथ नहीं चल सकतीं।
एक स्थानीय दर्शक, रमेश कुमार, ने कहा, “मैं पिछले 10 सालों से यह समारोह देखने आ रहा हूं, लेकिन आज का नजारा अलग था। गेट बंद देखकर थोड़ा अजीब लगा, लेकिन यह हमारे देश की मजबूती का प्रतीक है।” वहीं, एक पर्यटक ने इसे “शांति के लिए सख्ती” का संदेश बताया।
इस क्षेत्र में इसके अलावा, एक अन्य घटना ने भी तनाव को बढ़ाया दिया है उसी दिन, फिरोजपुर सेक्टर में बीएसएफ के जवान पीके सिंह अनजाने में सीमा पार कर गए थे, जहां उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स ने बंदी बना लिया है । बीएसएफ ने उनकी रिहाई के लिए बातचीत शुरू की, लेकिन पाक रेंजर्स ने फ्लैग मीटिंग से इनकार कर दिया, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा होता जा रहा है ।