खंडवा, 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया। एक साधारण कुएं की सफाई का काम उस वक्त मौत का मंजर बन गया, जब जहरीली गैस और दलदल ने आठ लोगों की जान ले ली। यह दर्दनाक हादसा छैगांवमाखन क्षेत्र के कोंडावत गांव में हुआ, जहां गणगौर विसर्जन के लिए कुएं को साफ करने की तैयारी चल रही थी। लेकिन किसी को नहीं पता था कि यह नेक इरादा इतनी बड़ी त्रासदी में बदल जाएगा।
कैसे शुरू हुआ हादसा?
बात गुरुवार, 3 अप्रैल की दोपहर की है। गांव के कुछ लोग लंबे समय से बंद पड़े कुएं की सफाई के लिए जुटे। सालों से सफाई न होने की वजह से कुएं में गाद का ढेर जमा हो गया था। सफाई शुरू हुई, और पहले एक शख्स नीचे उतरा। लेकिन जैसे ही वह काम में जुटा, कुएं के भीतर मौजूद जहरीली गैस ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। वह बेहोश होकर दलदल में फंस गया। उसे डूबता देख, दूसरा व्यक्ति मदद के लिए कूद पड़ा। फिर एक-एक करके लोग अपने साथियों को बचाने की कोशिश में कुएं में उतरते गए। लेकिन अफसोस, जहरीली गैस ने किसी को नहीं बख्शा। देखते ही देखते आठ लोग बेहोश होकर दलदल में समा गए, और उनकी जिंदगी हमेशा के लिए थम गई।
गांव में मचा कोहराम, शुरू हुआ रेस्क्यू
हादसे की खबर फैलते ही गांव में हाहाकार मच गया। ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। कुआं गहरा होने की वजह से बचाव कार्य आसान नहीं था। मशीनों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। पुलिस, प्रशासन, होम गार्ड्स और SDRF की टीमें मौके पर पहुंचीं और संयुक्त प्रयासों से शवों को बाहर निकाला गया। खंडवा SP मनोज कुमार राय ने बताया कि सभी शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया है।
CM ने जताया दुख, की मुआवजे की घोषणा
इस दुखद घटना पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गहरा शोक जताया। उन्होंने बताया कि प्रशासन और राहत टीमों ने तत्परता से काम किया। साथ ही, उन्होंने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया। यह राशि भले ही उनके दर्द को कम न कर सके, लेकिन सरकार की ओर से यह संवेदना का एक छोटा प्रयास है।
जहरीली गैस का खतरा: एक सबक
यह हादसा न सिर्फ एक परिवार या गांव की त्रासदी है, बल्कि एक चेतावनी भी है। पुराने कुओं और बंद जगहों में जहरीली गैस का जमाव एक अनदेखा खतरा है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सावधानी और सही उपकरणों के बिना ऐसे कामों में जान जोखिम में डालना ठीक है?
खंडवा का यह हादसा उन आठ परिवारों के लिए कभी न भूलने वाला दर्द बन गया, जिन्होंने अपनों को हमेशा के लिए खो दिया। यह कहानी सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक सवाल है—क्या हम ऐसी त्रासदियों से सबक लेंगे?