वाराणसी, 29 मार्च 2025, शनिवार। काशी, जो सनातन संस्कृति का प्राचीनतम केंद्र है, एक बार फिर अपने शास्त्रीय वैभव और नवाचार के साथ नवरात्रि पर्व को आलौकिक रूप प्रदान करने जा रही है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने चैत्र नवरात्रि 2025 को लेकर एक अनूठी परंपरा को और सशक्त रूप दिया है, जो भक्ति, श्रद्धा और शास्त्रीय रीति का संगम है। इस बार यह पर्व 30 मार्च से शुरू हो रहा है, और इसके लिए तैयारियां अपने चरम पर हैं।

नवाचार की शास्त्रीय यात्रा
यह परंपरा वर्ष 2024 की चैत्र नवरात्रि से शुरू हुई थी, जब भगवान श्री विश्वेश्वर ने माता विशालाक्षी को नौ दिनों तक प्रतिदिन श्रृंगार सामग्री और वस्त्र भेंट किए थे। शारदीय नवरात्रि 2024 में इस नवाचार को और विस्तार देते हुए काशी के नवदुर्गा स्वरूप मंदिरों को भी श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग धाम से वस्त्र और श्रृंगार का अर्पण किया गया। अब चैत्र नवरात्रि 2025 में यह परंपरा और अधिक व्यवस्थित और भव्य रूप में सामने आई है। इस बार पर्व की पूर्व संध्या, यानी 29 मार्च शनिवार को ही सभी श्रृंगार सामग्री और वस्त्र श्री काशी विश्वनाथ द्वारा काशी विशालाक्षी शक्तिपीठ सहित सभी नवदुर्गा मंदिरों को भेंट किए गए। इस बदलाव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नवरात्रि के प्रथम दिन से ही सभी देवी विग्रह भगवान विश्वनाथ की भेंट को धारण कर श्रद्धालुओं को दर्शन दें।

शास्त्रीय समारोह का भव्य आयोजन
29 मार्च शनिवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के शास्त्री गणों ने एक विशेष समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर श्रृंगार सामग्री और वस्त्रों को सबसे पहले भगवान विश्वेश्वर के समक्ष प्रस्तुत किया गया, फिर उन्हें माता काशी विशालाक्षी शक्तिपीठ और नवदुर्गा मंदिरों में भेजा गया। यह दृश्य अपने आप में अलौकिक था, जिसमें भक्ति और शास्त्र का अनुपम संगम देखने को मिला। दूसरी ओर, माता विशालाक्षी ने भी नौ कलश गंगाजल भगवान विश्वनाथ को अर्पित किए, जो इस परंपरा को और पवित्र बनाते हैं।

जलाभिषेक और मंगला आरती का शुभारंभ
30 मार्च को चैत्र प्रतिपदा के दिन प्रातःकाल मंगला आरती के बाद भगवान श्री काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक माता विशालाक्षी द्वारा भेंट किए गए गंगाजल से किया जाएगा। यह क्षण न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक उल्लास का प्रतीक होगा, बल्कि काशी की शास्त्रीय परंपराओं को भी जीवंत करेगा। इस पूरे आयोजन का एक वीडियो भी तैयार किया गया है, जिसमें भगवान विश्वनाथ और माता विशालाक्षी के बीच श्रृंगार वस्त्र और गंगाजल के आदान-प्रदान को दर्शाया गया है। साथ ही, नवदुर्गा स्वरूप मंदिरों द्वारा प्रतीकात्मक रूप से भेंट किए गए गंगाजल को स्वीकार करते हुए भगवान विश्वनाथ द्वारा प्रदत्त सामग्री का हस्तांतरण भी इसमें शामिल है।

सनातन जगत के लिए शुभकामनाएं
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस शास्त्रीय आयोजन के माध्यम से नवरात्रि को एक नए आयाम में प्रस्तुत किया है। यह उत्सव न केवल काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करता है, बल्कि समस्त सनातन जगत को एकजुट करने का संदेश भी देता है। न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने सभी श्रद्धालुओं को नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं, और यह आह्वान किया है कि इस पवित्र अवसर पर माता दुर्गा और भगवान विश्वनाथ की कृपा सभी पर बनी रहे।
काशी का यह पर्व एक बार फिर सिद्ध करता है कि शास्त्र और भक्ति का यह संगम अनंत काल तक सनातनियों के दिलों में जीवंत रहेगा।