उत्तर प्रदेश के शहरों में सुविधाएं बढ़ाने के साथ ही सरकार अब शहरों में नागरिक सुविधाओं का वैज्ञानिक आंकलन भी कराएगी। इसके लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। नगर विकास विभाग तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मिलकर इसकी कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। सरकार तकनीक के माध्यम से फिलहाल 126 निकायों में सड़क, सीवर और सरोवरों का वैज्ञानिक डेटाबेस तैयार कराने जा रही है।
प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग अमृत अभिजात ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, नगर विकास विभाग और रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशन्स सेंटर मिलकर कार्ययोजना तैयार कर रहा है। इसके जरिए शहरी क्षेत्रों में सामाजिक और नागरिक सुविधाओं का आंकलन और विकास की आवश्यक्ता को ध्यान में रखते हुए मूलभूत सुविधाओं का डेटाबेस तैयार होगा इसमें रिमोट सेंसिंग व जीआईएस तकनीक के उपयोग से मैपिंग का कार्य भी होगा। इससे मूलभूत सुविधाओं का समय पर परीक्षण, मूल्यांकन और मॉनीटरिंग भी हो सकेगी।
उन्होंने बताया कि नगरीय क्षेत्रों में सभी मार्गों का डेटाबेस तैयार करके उसकी भी मॉनीटरिंग हो सकेगी। इससे सड़कों की वस्तुस्थिति की जानकारी तो मिलेगी ही, साथ ही अधिकारी कभी भी मोबाइल एप के माध्यम से गड्ढा मुक्तिकरण एवं चौड़ीकरण के कार्यों की सटीक सूचनाएं प्राप्त कर सकेंगे। इसी प्रकार ड्रेनेज सिस्टम की यथास्थिति, सड़कों की लम्बाई, चौड़ाई व जलभराव की स्थिति का आंकलन भी रिमोट सेंसिंग व जीआईएस तकनीक से हो सकेगा।
इसी प्रकार मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी निकायों में हो रहे कार्यों का निश्चित अंतराल पर इस तकनीक के जरिए सटीक मूल्यांकन एवं निरीक्षण किया जा सकेगा। इसके अलावा जीआईएस से प्राप्त मानचित्रों एवं आंकड़ों को जियोपोर्टल पर दर्शाते हुए डिसीजन सपोर्ट सिस्टम तैयार किया जा सकेगा।
सरोवरों, पोखरों को विकसित करने के लिए डीपीआर तैयार करने के निर्देश
प्रमुख सचिव ने यह भी बताया कि भारत सरकार से प्रदेश के 126 नगरीय निकायों के 194 अमृत सरोवरों के विकास एवं कायाकल्प के लिए अनुमति मिल गयी है। इन सरोवरों, पोखरों को विकसित करने के लिए डीपीआर प्रस्तुत करने के निर्देश दे दिये गये हैं। इनका उद्देश्य ग्राउंड लेवल वाटर रिचार्जिंग को बढ़ावा देना है।