वाराणसी, 8 जुलाई 2025: वाराणसी के छितौना गांव में एक मामूली गाय विवाद ने खतरनाक सियासी मोड़ ले लिया है, जिसने उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्री अनिल राजभर को कटघरे में ला खड़ा किया है। 5 जुलाई को शुरू हुआ यह विवाद अब हत्या की साजिश और जमीन हथियाने के आरोपों के साथ सुर्खियों में है। करणी सेना, क्षत्रिय महासभा और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के विरोध के बाद मामला और गर्म हो गया है, जिससे सरकार की किरकिरी हो रही है।
क्या है पूरा मामला?
चौबेपुर थाना क्षेत्र के छितौना गांव में गाय के खेत में घुसने को लेकर दो पक्षों में झड़प हुई। बात इतनी बढ़ी कि तलवारें निकल आईं और संजय सिंह व उनके भाई अनुराग सिंह पर जानलेवा हमला हुआ। हैरानी की बात, पुलिस की मौजूदगी में पीड़ितों को जीप से उतारकर पीटा गया और हमलावरों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पीछा कर दोबारा हमला बोला।
जमीन कब्जाने की साजिश?
पीड़ित दिग्पाल सिंह ने सनसनीखेज आरोप लगाया कि यह हमला उनके परिवार की हत्या कर जमीन हथियाने की सुनियोजित साजिश थी। तहरीर के आधार पर पुलिस ने भोला राजभर, रामगुलम राजभर, सुरेंद्र राजभर, राजेंद्र राजभर, रामाश्रय, महेंद्र राजभर और एक अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया।
मंत्री पर निशाना, पुलिस पर पक्षपात का आरोप
जब पीड़ितों की FIR दर्ज नहीं हुई, तो करणी सेना और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राकेश सिंह अलगू समेत कई नेता विरोध में उतर आए। करणी सेना के जिलाध्यक्ष आलोक सिंह ने दावा किया कि मंत्री अनिल राजभर के दबाव में पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की और दोषियों को बचाया। थाने पर तीन घंटे तक चली नारेबाजी के बाद दूसरी FIR दर्ज हुई। राकेश सिंह ने चेतावनी दी, “पुलिस निष्पक्ष जांच करे, वरना जनता का भरोसा टूटेगा।”
सियासी तूफान के आसार
छितौना कांड अब जमीन विवाद से कहीं आगे निकल चुका है। मंत्री के खिलाफ नारेबाजी और संगठनों का खुला विरोध सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। सवाल यह है कि क्या इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई होगी, या दबाव और जातिगत समीकरण हावी रहेंगे? यह मामला अब न केवल वाराणसी, बल्कि पूरे प्रदेश की सियासत को गरमा रहा है।